राकेश शर्मा के साथ 3 अप्रैल 1984 वाले मिशन के लिए चुने गए शख्स ने गगनयान पर क्या कहा?

Gaganyaan Mission : भारत के गगनयान मिशन को लेकर हर हिंदुस्तानी यूं तो उत्साहित है, मगर 80 साल के भारतीय वायुसेना के पूर्व फाइटर पायलट ने इसे लेकर एनडीटीवी से खास बातचीत की...

Advertisement
Read Time: 4 mins

Indo-Soviet space mission 1984 : सेवानिवृत्त एयर कमोडोर रवीश मल्होत्रा अब भी अंतरिक्ष में उड़ान भरना चाहते हैं. वह 1984 में ऐतिहासिक भारत-सोवियत अंतरिक्ष मिशन पर जाने से चूक गए थे. 80 वर्षीय मल्होत्रा ​​को भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ चुना गया था. उन्हें राकेश शर्मा के बैकअप के रूप में उस मिशन पर उड़ान भरने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. राकेश शर्मा ने 3 अप्रैल 1984 को सोयुज टी-11 पर उड़ान भरी थी और अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले और अभी भी एकमात्र भारतीय बने.

जवां हैं हौसला

भारत के गुमनाम और संभवतः भुला दिए गए अंतरिक्ष नायक मल्होत्रा ​​ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से पहले एनडीटीवी से बात की. मल्होत्रा ​​ने एनडीटीवी से कहा, "अगर विकल्प दिया जाए तो मैं अंतरिक्ष में अब भी उड़ान भरूंगा, खासतौर पर भारत के गगनयान पर. अगर एक अमेरिकी सीनेटर 77 साल की उम्र में अंतरिक्ष में जा सकते हैं, तो निश्चित रूप से मैं भी अंतरिक्ष में जा सकता हूं."

गगनयान पर क्या बोले?

अमेरिकी सीनेटर जॉन ग्लेन 1998 में स्पेस शटल पर सवार होकर अंतरिक्ष में जाने वाले सबसे उम्रदराज इंसान बने और एक सप्ताह से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहे. गगनयान मिशन के तहत भारत की योजना इंसानों को कम से कम एक दिन के लिए पृथ्वी की सतह से 400 किमी ऊपर की कक्षा में भेजने और वापस लाने की है. भारत ने गगनयान मिशन के लिए चार उम्मीदवारों विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन, अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप को चुना है. शुक्ला और नायर 2025 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के संभावित भारत-अमेरिका मिशन के लिए नासा में प्रशिक्षण ले रहे हैं.

Advertisement

1984 वाले मिशन पर

1984 में अंतरिक्ष मिशन को याद करते हुए रवीश मल्होत्रा ​​ने कहा कि यह बात पचाना मुश्किल था कि वह अंतरिक्ष में नहीं जा सके, लेकिन तब यह हमेशा पता था कि उनमें से केवल एक राकेश शर्मा और या वह रूसी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरेगा. भारतीय वायु सेना और फिर निजी क्षेत्र में एक सफल करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए मल्होत्रा ​​ने कहा, "जैसे कार्ड बांटे जाने पर कैसा भी कार्ड आए, उनके साथ खेलना पड़ता है, लेकिन चयनित नहीं होने पर शुरूआत में झटका तो लगा ही था."

Advertisement

बैच के टॉपर हैं चारों

राकेश शर्मा के साथ वह तब तक एकमात्र प्रशिक्षित भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने रहे, जब तक कि भारत ने हाल ही में चार और नामित अंतरिक्ष यात्री गगनयात्रियों के लिए नहीं चुना. मल्होत्रा ​​ने कहा कि वह अभी भी फिट हैं और अपना जीवन पूरी तरह से जीते हैं. रवीश मल्होत्रा ​​ने गगनयान मिशन पर भी बात की और कहा कि चारों गगनयात्री बहुत अच्छा करेंगे, क्योंकि वे सभी भारतीय वायु सेना में अपने बैच के टॉपर हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि ये चारों अंतरिक्ष यात्री के रूप में अद्भुत काम करेंगे.

Advertisement

क्या संभव कर पाएगा इसरो?

मल्होत्रा ​​सभी चार परीक्षण पायलटों को उनके चयन से पहले से जानते थे. वह उनकी चयन प्रक्रिया में भी शामिल थे. चारों गगनयात्रियों को बेंगलुरु में इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) में बुनियादी प्रशिक्षण और चयन से गुजरना पड़ा. इसी संस्थान ने 1983 में शर्मा और मल्होत्रा ​​का चयन किया था. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें विश्वास है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान मिशन को पूरा करने में सक्षम होगा?  मल्होत्रा ​​ने कहा, "मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि भारत और इसरो इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे. इसरो को विश्वास है कि वे इसे सफलतापूर्वक कर सकते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि इसरो 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनौती पर खरा उतरेगा.

Advertisement

1971 के युद्ध में भाग लिया

रवीश मल्होत्रा ​​ने कहा, "अभी बहुत काम किया जाना बाकी है, लेकिन यह होकर रहेगा." मल्होत्रा ​​ने लड़ाकू विमान भी उड़ाए हैं और 1971 में पाकिस्तान में हवाई हमलों में भाग लिया. इसके बाद उन्होंने 1995 में एयर कमोडोर के पद पर भारतीय वायु सेना से प्रारंभिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके बाद वह बेंगलुरु स्थित एयरोस्पेस कंपनी डायनेमैटिक टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में शामिल हो गए.

Featured Video Of The Day
First Round की 24 Assembly Seats पर कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर, निर्दलीय किसका खेल बिगाड़ेंगे?