Ravish Kumar Prime Time: जब PM के कार्यक्रम में बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के भीड़ लाई जा सकती है, तो कांवड़ यात्रा पर नौटंकी क्यों...? रवीश का तंज

Ravish Kumar Prime Time: रवीश ने अखबारों में छपे विज्ञापन पर पूछा है कि नालों का जीर्णोद्धार, गंगा घाटों पर शिलापट्ट, जेल की दीवार, यूनिवर्सिटी में बने टीचर क्वार्टर और पार्क का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री करेंगे तो स्थानीय पार्षद, नेता या यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फिर क्या करेंगे?

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रवीश ने कहा, "जब PM की सभा में जब इतने सारे लोग लाए जा सकते हैं तो फिर कांवड़ यात्रा रद्द करने की नौटंकी क्यों हो रही है?

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने अपने शो 'Prime Time With Ravish Kumar' के ताजा एपिसोड (15 जुलाई, 2021) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूपी चुनाव से पहले अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 1583 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास की चर्चा की है. रवीश ने पीएम के कार्यक्रम स्थल पर भीड़ को देखते हुए पूछा कि डिजिटल इंडिया के दौर में आखिर दिल्ली से ही सभी परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हो सकता था लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया, जबकि बनारस में भी पीएम ने एक ही जगह से बटन दबाकर ऐसा किया?

उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच बार-बार लोगों को चेतावनी देने वाले प्रधानमंत्री की सभा में कई ऐसे लोग मौजूद थे जिनके चेहरे पर न तो मास्क था और न ही वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. उन्होंने कहा, "एक तरफ सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार से सवाल पूछ रहा है कि प्रधानमंत्री तीसरी लहर के चेतावनी दे रहे हैं और यूपी सरकार कांवड़ यात्रा का आयोजन कर रही है, क्यों?" 

रवीश ने कहा, "जब प्रधानमंत्री की सभा में जब इतने सारे लोग लाए जा सकते हैं तो फिर कांवड़ यात्रा रद्द करने की नौटंकी क्यों हो रही है? कांवड़ यात्रा से तो कई लोगों के रोजगार भी जुड़े हैं. जब तक भीड़ को लेकर हमारे रवैए में बदलाव नहीं आएगा, तब तक ऐसे फैसले विचित्र लगेंगे कि आप कांवड़ यात्रा रोक रहे हैं लेकिन रैली नहीं रोक पा रहे हैं."

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वरिष्ठ पत्रकार ने इस पर भी सवाल उठाए कि प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ाई में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की और उसे अभूतपूर्व बताया, जबकि दो महीने पहले ही बनारस समेत यूपी के कई जिलों में ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड की कमी, रेमडेसिविर जैसी जरूरी दवाओं की कमी, गंगा में उफनाती लाशों और गंगा किनारे कोरोना से हुई मौत और लाशों के अंबार के दृश्य आम थे. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान श्मसान घाटों पर जलती चिताएं इस बात की गवाह रही हैं कि कोरोना काल में यूपी सरकार का काम कितना अभूतपूर्व था?

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रवीश ने अखबारों में छपे विज्ञापन पर पूछा है कि नालों का जीर्णोद्धार, गंगा घाटों पर शिलापट्ट, जेल की दीवार, यूनिवर्सिटी में बने टीचर क्वार्टर और पार्क का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री करेंगे तो स्थानीय पार्षद, नेता या यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फिर क्या करेंगे? उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत में कहा कि एक पाठक के रूप में आपका कर्तव्य बनता है कि जब भी सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर विज्ञापन छपवाए तो उसे गंभीरता से पढ़ना चाहिए. आखिर वह भी तो आपके टैक्स का पैसा है.

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उन्होंने कहा, "विज्ञापन में जिन कार्यों को गिनाया गया है उसे आप देखें और ख़ुद तय करें कि क्या इसके लिए प्रधानमंत्री को बनारस जाने की ज़रूरत थी? इस विज्ञापन में लिखी एक-एक बात को पढ़ेंगे तो लगेगा कि प्रधानमंत्री अभी भी जनता को भरमाने की टेक्‍नालॉजी से बाहर नहीं आ सके हैं. अजीब-अजीब तरह के ऐसे काम हैं जिनके उदघाटन के लिए प्रधानमंत्री की ज़रूरत नहीं थी." उन्होंने पूछा कि क्या कभी आपने सुना है कि जेल की दीवार का उद्घाटन या लोकार्पण प्रधानमंत्री करने गए हों?

रवीश कुमार ने यह भी पूछा है कि गलियों की टूटी सड़कों की मरम्मति, पार्क का सौंदर्यीकरण, सीवेज का जीर्णोद्धार, जेल की नई दीवार, गंगा घाटों पर 84 शिलापट्ट कब से परियोजनाएं गिनी जानें लगीं? उन्होंने कहा, "सात साल तक लोकप्रियता के शिखर पर रहने और तमाम चुनावी जीत के बाद प्रधानमंत्री पार्क और दीवार का लोकार्पण कर रहे हैं. इसका मतलब है कि देश वाकई तरक्की कर गया है. पार्षद के हिस्से के काम का लोकार्पण प्रधानमंत्री कर रहे हैं. देखा जाए तो प्रमोशन पार्षद का हो गया है."