Ravish Kumar Prime Time: अपने ही मंत्रियों की जासूसी करवा रही सरकार? रवीश कुमार ने बताया किन-किन के फोन में हो रही थी सेंधमारी?

Ravish Kumar Prime Time : रवीश ने कहा, "यह खबर दांत चियारनेवाली नहीं है बल्कि ऐसी खबर है कि हलख सूख जानी चाहिए. यह कहानी चोर दरवाजे से लोकतंत्र को रौंदकर मिट्टी में मिला देने की है. अगर आपने अभी नहीं सुनी और हिन्दी प्रदेश के गांव-गांव में नहीं सुनाई तो 20 साल बाद भी बैकडेट में कुछ भी सुनाने को नहीं बचेंगे."

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Ravish Kumar Prime Time: रवीश ने कहा, "यह खबर दांत चियारनेवाली नहीं है बल्कि ऐसी खबर है कि हलख सूख जानी चाहिए.

'Prime Time With Ravish Kumar' के ताजा एपिसोड (19 जुलाई, 2021) में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Spy Case) को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है और कहा है कि यह बोगस बात है कि भारत को बदनाम करने के लिए दुनिया के 10 देशों के 16 अख़बार और न्यूज़ वेबसाइट के 80 पत्रकार मेहनत कर रहे हैं. भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के फ़ोन हैक हुए हैं. कई देश इस खेल में शामिल हैं. उनके यहाँ भी खुलासे हो रहे हैं. यह भी कि अभी सारे नंबरों का पता नहीं चला है. किसी को पता नहीं कि कितने नंबरों की निगरानी की गई है.

'द वायर' की रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा कि देश में 300 फोन नंबरों की जासूसी की एक संभावित लिस्ट बनाई गई थी, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी दो नंबर शामिल हैं. इस सूची में राहुल से जुड़े नौ और नंबर भी डाले गए थे लेकिन राहुल गांधी ने अपना नंबर बदल दिया था. राहुल गांधी के अलावा उनके सहयोगियों अलंकार सवाई और सचिन राव के नंबर भी इस लीक हुए लिस्ट में शामिल हैं. इनके अलावा राहुल गांधी के गैर राजनीतिक दोस्तों के भी नाम इस लीक हुई डेटाबेस में हैं.

रवीश ने कहा, "ये हुआ है और ये हो रहा है इस देश में. संकटग्रस्त आर्थिक हालात वाले देश में विपक्ष और पत्रकारिता करने वालों की निगरानी करने की यह खबर भयानक है." उन्होंने बताया कि जिनकी निगरानी हुई है या हो रही है, उस लिस्ट में पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का भी नाम शामिल है, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आचारसंहिता उल्लंघन के मामले में आयोग के एक फैसले में अलग राय दी थी.

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वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निजी सचिव, उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नंबर भी जासूसी करने वाले मालवेयर की लिस्ट में है. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता प्रह्लाद सिंह पटेल की भी जासूसी हुई है जो केंद्रीय मंत्री हैं. रवीश ने तंज कसा, "बताइए केंद्रीय राज्यमंत्री की भी जासूसी उनकी ही सरकार करा रही है."

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रवीश कुमार ने हिन्दी अखबारों में पेगासस से जुड़ी छपी खबरों पर भी निशाना साधा और कहा कि ज्यादाातर अखबारों में इस तरह छापा गया है कि यह छप भी जाय और छुप भी जाय. उन्होंने कहा, "दुनिया के कई न्यूज संगठनों के 80 से ज्यादा पत्रकार इतने बड़े पर्दाफाश के नाम पर हवा में मिठाई नहीं बना रहे थे."  उन्होंने बताया कि बिना मुनाफे की पत्रकारिता कर रही पेरिस की 'फॉरबिडन स्टोरीज' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' के मुताबिक दुनियाभर में 50 हजार से ज्यादा फोन नंबर्स की सूची मिली है जिसकी इजरायली सॉफ्टवेयर से निगरानी की जा रही थी और की जानेवाली थी.

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रवीश ने बताया कि 'एमनेस्टी' ने इनमें से 1000 नंबरों की जांच अपने फॉरेंसिक लैब में की है और दुनिया के 15 समाचार संगठनों से उस रिपोर्ट को साझा किया है. अन्य समाचार संगठनों ने भी अपने स्तर पर सूची का परीक्षण किया है. 50,000 फोन नंबर्स की सूची में भारत, अजरबैजान, बहरीन, कज़ाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के लोगों के फोन नंबर शामिल हैं.

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वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि भारत में 'द वायर' ने इस पर खोजी काम किया है, तो अमेरिका में 'वाशिंगटन पोस्ट' 'पीवीएस फ्रंटलाइन', ब्रिटेन में 'द गार्डियन', फ्रांस के 'ला मोडे', रेडियो फ्रांस, जर्मनी के बड़े अखबार 'ज़ू डायसे शायटू' , बेल्जियम के 'ले सोर' ने भी इस पर काम किया है और इससे जुड़ी खबरों को प्रमुखता से छापा है. इनके अलावा इज़रायल, लेबनान, हंगरी के भी अखबरों में यह खबर विस्तार से छपी है, जबकि भारत में कई अख़बारों ने इसे आधा-अधूरा ही छापा है.

उन्होंने पूछा है कि हिन्दी अख़बारों या भारतीय अख़बारों में इस खबर के न छापने से क्या होता है? या आधे-अधूरे तरीके से छापने से क्या होता है? रवीश ने कहा, "यह ख़बर जिस तरह से दुनिया के अख़बारों में छपी है, उससे भारत की छवि बेहतर नहीं हुई है. आप नहीं कह सकते कि 10 देशों के अख़बार और 80 से ज्यादा पत्रकार मिलकर भारत को बदनाम कर रहे हैं क्योंकि यह पर्दाफाश केवल भारत की सरकार के बारे में नहीं है. 50 देशों के फोन नंबरों के बारे में है. पिछले ही दिनों अमेरिका के आर्सेनल लैब की रिपोर्ट छपी, जिसे हिन्दी अख़बारों और न्यूज चैनलों ने मिलकर भारत की जनता तक नहीं पहुंचने दिया."

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उन्होंने कहा कि आर्सेनल लैब की रिपोर्ट में कहा गया था कि भीमा कोरेगांव केस के आरोपी रोना विल्सन्स, सुरेंद्र गाडलिंग, अनिल तिलतुंडे और स्टेन स्वामी के कम्प्यूटर को हैक किया गया और फिर उनमें फर्जी दस्तावेज डाले गए और फिर इन सभी को भारत के खिलाफ साजिश रचने और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने के आरोप में जेल में सड़ा दिया गया. स्टेन स्वामी की तो मौत भी हो गई. पैगासस जासूसी की लिस्ट में इन सबके नाम भी हैं.

रवीश ने कहा, "यह खबर दांत चियारनेवाली नहीं है बल्कि ऐसी खबर है कि हलख सूख जानी चाहिए. यह कहानी चोर दरवाजे से लोकतंत्र को रौंदकर मिट्टी में मिला देने की है. अगर आपने अभी नहीं सुनी और हिन्दी प्रदेश के गांव-गांव में नहीं सुनाई तो 20 साल बाद भी बैकडेट में कुछ भी सुनाने को नहीं बचेंगे."