- विपक्षी सांसदों ने विधेयकों का विरोध करते हुए उनकी प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री की ओर कागज के टुकड़े फेंके.
- भाजपा सांसद रवि किशन ने विपक्षी सांसदों के व्यवहार की कड़ी निंदा की.
- अमित शाह ने विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति में भेजने की सिफारिश की ताकि उस पर व्यापक चर्चा हो सके.
लोकसभा में बुधवार को उस समय भारी हंगामा हुआ जब गृह मंत्री अमित शाह ने तीन अहम विधेयक पेश किए. इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार होकर 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा. विपक्षी दलों के सांसदों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए उनकी प्रतियां फाड़ दीं और कागज़ के टुकड़े गृह मंत्री अमित शाह की ओर फेंके. कुछ सांसदों ने कागज के गोले बनाकर भी उनकी ओर उछाले.
भाजपा सांसद रवि किशन ने विपक्ष के व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मैं इस घटना की कठोर शब्दों में निंदा करता हूं. विपक्ष ने गुंडागर्दी की सारी हदें पार कर दीं. उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग किया और संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाई. मैंने पहले कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा. उन्होंने विपक्षी सांसदों को "सड़कछाप" तक कह दिया.
लोकसभा में इन तीनों बिलों को पेश करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने इसे संयुक्त संसदीय समिति में भेजने की सिफारिश की. इस बिल को लेकर संसद में विपक्षी दलों की ओर से विरोध किया गया. यही नहीं, विपक्षी दलों ने इस बिल पर रोष प्रकट करते हुए इसकी कॉपी फाड़कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर फेंक दी.
वहीं, कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि जब अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था, तो क्या उन्होंने अपनी नैतिकता दिखाई थी? इस पर अमित शाह ने कहा कि जब मुझे झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया था, तो मैंने इस्तीफा देकर अपनी नैतिकता दिखा दी थी. कोर्ट से निर्दोष साबित नहीं होने तक मैंने किसी भी संवैधानिक पद की जिम्मेदारी ग्रहण नहीं की थी.