Ranveer Allahabadia's Case: कहानी कहना या कहानी बुनना, एक ऐसी कला है, जिसने इंसान को पूरे प्राणी जगत यानी एनिमल किंगडम के पिरामिड में सबसे ऊपर पहुंचा दिया. क्योंकि इंसान कहानी कहना जान गया था. कोई और प्राणी इसमें महारत हासिल नहीं कर पाया. जाने-माने इतिहासकार, दर्शनशास्त्री और पॉपुलर साइंस राइटर युवल नोहा हरारी मानते हैं कि कहानी कहना इंसान की सुपर पावर है. वो कहते हैं कि क़रीब सत्तर हज़ार साल पहले कहानी कहने की इस कला ने ही सेपियंस यानी आज के मानवों को बाकी प्राणियों से अलग कर दिया, उन्हें वो ताक़त दे दी, जो किसी और को हासिल नहीं हो पाई. ये कहानी ही है, जो लोगों को बांधती है, प्रभावित करती है. इंटरनेट के दौर में तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए जब हर व्यक्ति के हाथ में हर व्यक्ति तक पहुंचने की क्षमता है तो कहानी कहने की ये कला इस ताक़त को कई गुना बढ़ा देती है.
रणवीर इलाहाबादिया की भद्दी बात
आज के दौर के सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर कहानी कहने की इसी कला के बूते बड़े-बड़े सेलेब्रिटी बन गए हैं. कइयों की फॉलोइंग करोड़ों में है और जब किसी की पहुंच इतनी बड़ी हो जाए तो उसकी ज़िम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ जानी चाहिए. हम ये ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं कि इन दिनों एक नामी सोशल मीडिया इंफ़्लुएंसर भयानक विवाद में घिर गए हैं. अपनी ज़ुबान और अपनी समझ पर नियंत्रण खोकर वो जो कह गए, उसे हम आपको बता नहीं सकते, बस इतना समझ लीजिए कि जो कहा वो माता-पिता के पवित्र रिश्तों को एक गाली थी. भारतीय परंपरा और संस्कृति से भद्दा मज़ाक, जिसमें अश्लीलता को न्यू नॉर्मल बनाने की कोशिश हुई. वीडियो वायरल होते ही इस इन्फ़्लुएंसर को बिना शर्त माफ़ी मांगने को मजबूर होना पड़ा है. ये हैं रणवीर इलाहाबादिया, जो भारत के युवाओं ख़ासतौर पर जिन्हें हम Gen Z कहते हैं उनके बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं.
यूट्यूब पर Beer Biceps नाम से उनका यूट्यूब चैनल है. यूट्यूब पर एक करोड़ से ज़्यादा, X पर छह लाख से ज़्यादा और इंस्टाग्राम पर 45 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर रखने वाले पॉडकास्टर रणवीर अलाहाबादिया ने यूट्यूब के एक रिएलिटी शॉ India's Got Latent में एक प्रतिभागी से ऐसा सवाल पूछा कि सब धक से रह गए. कॉमेडी शो के नाम पर जो फूहड़ बात उन्होंने की, उसका वीडियो वायरल होने में देर नहीं लगी. रणवीर इलाहाबादिया हर ओर से ऐसे घिरे कि बिना शर्त माफ़ी मांगने के अलावा कोई चारा न रहा.
Photo Credit: Ranveer Allahbadia Insta
हालांकि, तब तक देर हो चुकी थी. कॉमेडियन और होस्ट समय रैना के शो 'India's Got Latent में जज बने रणवीर इलाहाबादिया की बेहद फूहड़ बात मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र महिला आयोग तक भी पहुंच गईं हैं. शिकायतें दर्ज कर दी गईं हैं. इसके अलावा कॉमेडियन समय रैना, जज के तौर पर पैनल में मौजूद सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर अपूर्व माखीजा, आशीष चंचलानी और शो के आयोजकों के ख़िलाफ़ भी शिकायत दर्ज की गई है. साथ ही मामले की जांच शुरू हो गई है.
कॉमेडी के नाम पर फूहड़ता
वैसे इस शो में ऐसी फूहड़ता पहली बार नहीं दिखी. इससे पहले भी महिलाओं के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक टिप्पणियों के वीडियो क्लिप अब वायरल हो रहे हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके बाद ऐसे कार्यक्रमों को चेतावनी दे दी. इंटरनेट के फैलाव और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की अंधाधुंध पहुंच के बाद इस सवाल पर विचार करना बहुत ज़रूरी हो जाता है कि बोलने की आज़ादी कहां शुरू होती है और कहां ख़त्म. बोलने की आज़ादी के नाम पर, कॉमेडी के नाम पर, लोगों को प्रभावित करने के नाम पर क्या कुछ भी बोला जाता रहेगा. इस तरह अश्लीलता परोसी जाती रहेगी.
सोशल मीडिया पर अपने गंभीर कंटेंट के लिए जाने जाने वाले कहानीकार, गीतकार नीलेश मिसरा ने लिखा, "मिलिए ऐसे विकृत क्रिएटर्स से जो हमारे देश की क्रिएटिव इकॉनमी को शक्ल दे रहे हैं. मुझे यकीन है कि इनमें से हर के लाखों फॉलोअर होंगे. इस सामग्री को एडल्ट कंटेंट नहीं बताया गया है. इसकी पहुंच बड़ी आसानी से एक बच्चे तक भी है. इन क्रिएटर्स और प्लेटफॉर्म की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है. मैं बिलकुल हैरान नहीं हूं कि मंच पर मौजूद चारों लोगों और दर्शकों में से कई लोगों ने इस पर तालियां बजाई होंगी, खुश हुए होंगे. आप दर्शकों ने ऐसी सामग्री और ऐसे लोगों को बहुत ही सामान्य बात बना दिया है."
राजपाल यादव से लेकर हर किसी ने की निंदा
हिंदी फिल्मों के मशहूर कॉमेडियन राजपाल यादव ने भी कॉमेडी के नाम पर ऐसी फूहड़ता पर सवाल उठाया. दरअसल, सोशल मीडिया का जिस तरह विस्फोट हुआ है, उसमें नए-नए यूट्यूबर कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं. इसमें एक बड़ी चिंता ये है कि कंटेंट पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा, किसी तरह का नियंत्रण नहीं दिख रहा. बोलने की आज़ादी के नाम पर कुछ भी परोस दिया जा रहा है. यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की कोई ज़िम्मेदारी नहीं दिख रही. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने इस सिलसिले में यूट्यूब की हेड ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी मीरा चट्ट को एक पत्र लिखकर कहा है कि वो संबंधित वीडियो को यूट्यूब से हटवाएं. इसके अलावा चैनल और वीडियो विशेष से जुड़ी जानकारी संबंधित पुलिस को मुहैया कराएं, जहां शिकायत दर्ज की गई है ताकि आगे की कार्रवाई हो सके. पत्र के तीन दिन के अंदर इस सिलसिले में की गई कार्रवाई की जानकारी मानवाधिकार आयोग को मुहैया कराई जाए.
शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि वो रणवीर इलाहाबादिया के मामले को संसद की आईटी मामलों की स्थायी समिति में उठाएंगी कि किस तरह से भद्दे और फूहड़ कंटेंट को कॉमेडी की तरह दिखाया जा रहा है. हालांकि, ये अकेले एक यूट्यूबर या सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर का मामला नहीं है. सोशल मीडिया के समुद्र में न जाने कितना ऐसा फूहड़ कंटेंट कचरे की तरह तैर रहा है और हल्का होने के कारण सबसे ऊपर दिखता है. जिस युवा पीढ़ी को हम Gen Z कहते हैं उसके बीच ऐसे कंटेंट की बढ़ती पैठ चिंता भी पैदा करती है.
एक दौर था... जब अलग-अलग क्षेत्रों के नामी लोग, खिलाड़ी, अभिनेता वगैरह इन्फ़्लुएंसर की तरह काम करते थे. लोगों को प्रभावित करने की उनकी कला का बाज़ार ने भी ख़ूब फ़ायदा उठाया. उत्पादों के विज्ञापन के लिए उनका जमकर इस्तेमाल हुआ, लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट के दौर में यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का विस्तार हुआ, सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग भी छाते गए, जो किसी विषय विशेष के विशेषज्ञ होने के नाते और कहानी कहने की अपनी कला के कारण लोकप्रिय होते गए. इनमें से कई ने बहुत ही शानदार कंटेंट तैयार किया और अब भी कर रहे हैं. ज्ञान, विज्ञान की दुनिया में असीम विस्तार होता रहा. वहीं जानकारी के इस समंदर में कई ऐसे भी लोग आते गए जो हल्के और छिछले कंटेंट के कारण सस्ती लोकप्रियता पाते चले गए और बाज़ार में मुनाफ़े का गणित उनका दुस्साहस और बढ़ाता रहा. India's got latent में जो दिखा वो उसका एक छोटा सा उदाहरण है. दरअसल, इस सबके पीछे अगर सस्ती लोकप्रियता और बाज़ार न होता तो कोई ये बात यहां तक नहीं बढ़ती. बाज़ार ने हर दौर के समाज को प्रभावित किया. हमारे दौर को तो सबसे ज़्यादा.
एक नज़र डालिए सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स के बाज़ार पर. आंकड़ों पर काम करने वाली वेबसाइट statista.com के मुताबिक 2016 में दुनिया में इन्फ़्लुएंसर्स का जो बाज़ार 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का था, वो लोगों तक इंटरनेट और फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती पहुंच से आज 14 गुना से ज़्यादा होकर 24 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है. जो क़रीब भारतीय मुद्रा में क़रीब दो लाख करोड़ से कुछ ही कम है. मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स के इस बाज़ार में जिनके जितने फॉलोअर होते हैं या कंटेंट जितना ज़्यादा देखा जाता है उनको उतनी ज़्यादा क़ीमत मिलती है. उसी कंटेंट के साथ विज्ञापनों की एक दुनिया भी जुड़ी रहती है. ये अच्छा भी है. लोग अच्छा कंटेंट बनाते हैं, वो चलता है तो अच्छा पैसा भी मिलता है, लेकिन कई लोगों ने इसका ग़लत फ़ायदा उठाने में भी कसर नहीं छोड़ी है. ये कड़वा सच है कि समाज में हल्की और फूहड़ बातों और सतही कंटेंट को लाइक करने वाले कम नहीं हैं. कई कथित इन्फ़्लुएंसर्स ने इस कमज़ोरी का खूब फ़ायदा उठाया, लेकिन दरअसल ये इन्फ़्लुएंसर सिर्फ़ बाज़ार को ही प्रभावित नहीं करते पूरे समाज को प्रभावित करते हैं. अगर वो ज़िम्मेदारी भरा कंटेंट न दें तो एक पूरी पीढ़ी पर नकारात्मक असर डालते हैं. सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का संसार इतना बड़ा हो गया है कि उनकी हरक़तें नज़रों से अक्सर बची रह जाती हैं.
अब देखिए चार सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कितने बड़े हैं...
- YouTube के 2.5 अरब एक्टिव यूज़र यानी धरती की आबादी का हर तीसरा आदमी यूट्यूब इस्तेमाल कर रहा है.
- Instagram के 2 अरब एक्टिव यूज़र
- TikTok के 1.6 अरब एक्टिव यूज़र
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के 61.1 करोड़ एक्टिव यूज़र
भारत में सोशल मीडिया पहले ही लोकप्रिय हो रहा था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पहुंच बहुत ज़्यादा बढ़ गई. इसकी एक बड़ी वजह तक लोगों का काफ़ी महीनों तक घरों से बाहर न निकलना रहा. लिहाज़ा सोशल मीडिया लोगों की एक पसंद बनता चला गया.
- आज भारत में 85 करोड़ लोगों की इंटरनेट तक पहुंच है.
- 2024 की शुरुआत तक भारत में 46 करोड़ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे, जो भारत की आबादी का 32% है.
- भारत के क़रीब 50% यानी आधे उपभोक्ता किस अन्य विज्ञापन के तरीके के बजाय सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स द्वारा शेयर किए गए कंटेंट पर यकीन करते हैं.
- भारत के क़रीब 56% ब्रैंड अपने बजट का 2% से ज़्यादा मीडिया बजट इन्फ़्लुएंसर मार्केटिंग पर खर्च करते हैं.
- 46% ब्रैंड्स ऐसे हैं, जो नैनो और माइक्रो इन्फ़्लुएंसर्स के बीच अपना मार्केटिंग अभियान चलाना पसंद करते हैं. यानी ऐसे इन्फ़्लुएंसर्स जिनके फॉलोअर 100 से लेकर एक लाख तक हों.
- भारत में क़रीब 9 लाख 30 हज़ार कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनमें से 12% यानी 1 लाख 12 हज़ार कंटेंट क्रिएटर ऐसे हैं जो एक लाख से दस लाख रुपये हर महीने कमाते हैं.
- भारत में 2023 में इन्फ़लुएंसर मार्केट 1,875 करोड़ रुपये था, जो 2024 में 2344 करोड़ रुपए होने का अनुमान है.
- 2026 में इन्फ्लुएंसिंग मार्केटिंग इंडस्ट्री के बढ़कर 3,375 करोड़ रुपये होने की संभावना है.
- भारत में सबसे ज़्यादा इंफ़्लुएंसर कंटेंट इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर देखा जाता है.