समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव को आगरा कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. राणा सांगा विवाद में उनके खिलाफ दायर वाद को आगरा कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही उनकी ही पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के खिलाफ दायर वाद को भी अदालत ने निरस्त कर दिया है. राणा सांगा पर टिप्पणी को लेकर सांसद रामजीलाल सुमन भाजपा के निशाने पर हैं.
आगरा की सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन ने राणा सांगा पर दिए गए बयान को लेकर दायर किए गए वाद को निरस्त कर दिया है. यह मुकदमा आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने दायर किया था. इसमें अखिलेश यादव और रामजीलाल सुमन को प्रतिवादी बनाया गया था. मामले में इससे पहले बीते दस अप्रैल को सुनवाई हुई थी.
जिला न्यायालय में दायर करेंगे याचिका
वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने न्यायालय से कहा था कि सपा सांसद लगातार राणा सांगा को गद्दार कह रहे हैं जबकि, बाबरनामा और साल 1883-84 के लाहौर गजेटियर के अनुसार पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी ने बाबर को भारत बुलाया था.
इस बारे में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश के विरूद्ध जिला जज के न्यायालय में रिवीजन दायर करेंगे.
संसद में दिया था विवादित बयान
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने रामजीलाल सुमन ने मौजूदा संसद सत्र के दौरान राणा सांगा को लेकर एक विवादित बयान दिया था, जिस पर भाजपा सांसदों ने नाराजगी जताई थी. वहीं, करणी सेना ने सपा सांसद से माफी की मांग की थी.
रामजीलाल सुमन ने हाल ही में करणी सेना के विरोध और धमकियों के मद्देनजर अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
क्या कहा था रामजीलाल सुमन ने?
बता दें कि सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने संसद में कहा था कि बीजेपी के लोग अक्सर कहते हैं कि उनमें बाबर का डीएनए है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया, "मुझे यह जानना है कि बाबर को भारत में लाने वाला कौन था? क्या इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा ने नहीं बुलाया था?" रामजी लाल ने कहा, "अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो फिर बीजेपी वाले उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हैं."