अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद PM नरेंद्र मोदी ने कहा, "22 जनवरी, 2024 महज़ एक तारीख नहीं है, एक नए युग का सूत्रपात है..."
अयोध्या में 500 साल की प्रतीक्षा के बाद राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह इस बात से भावविह्वल हैं कि अब रामलला को टेंट में नहीं रहना होगा. उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह में उपस्थिति के चलते वह ईश्वरीय चेतना का साक्षी बने, जिसके परिणामस्वरूप उनका कंठ अवरुद्ध है, तथा शरीर स्पंदित है.
आइए पढ़ते हैं, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दिए गए PM नरेंद्र मोदी के भाषण की खास बातें...
- दुनियाभर के रामभक्तों को राम राम...
- कई पीढ़ियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं... इस अवसर पर सभी को कोटि-कोटि बधाई... कहने को बहुत कुछ है, परन्तु कंठ अवरुद्ध है...
- रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे... अब वह एक भव्य मंदिर में रहेंगे...
- 22 जनवरी, 2024 महज़ एक तारीख नहीं है, एक नए युग का सूत्रपात है... भगवान राम के अस्तित्व को लेकर क़ानूनी लड़ाई दशकों तक चलती रही... मैं न्याय करने के लिए भारत की न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त करता हूं...
- गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होता राष्ट्र ऐसे ही नवइतिहास का सृजन करता है, अनगिनत बलिदानों, त्याग और तपस्या के बाद आज हमारे प्रभु राम आ गए हैं...
- राम का स्थान हमारे संविधान के पहले पृष्ठ पर भी है, फिर भी यह होने (रामलला की प्राण प्रतिष्ठा) के लिए कई दशक लग गए...
- आज, मैं भगवान राम से क्षमायाचना भी करता हूं... हमारे प्रयासों, बलिदानों और प्रायश्चित्त में निश्चित रूप से कुछ कमी रही होगी, जो हम कई सदियों तक यह कार्य नहीं कर पाए थे... आज यह काम पूरा हो गया है... मुझे विश्वास है कि भगवाम राम हमें अवश्य क्षमा कर देंगे...
- हमारे लिए यह अवसर सिर्फ़ विजय का नहीं, विनय का भी है... भगवान राम आग नहीं, राम ऊर्जा हैं... राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं... राम सिर्फ़ हमारे नहीं, राम सबके हैं... राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं...
- राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं... राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं... राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का चिंतन हैं... राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं... राम प्रवाह हैं, राम प्रभाव हैं... राम नेति भी हैं, राम नीति भी हैं... राम नित्यता भी हैं, राम निरंतरता भी हैं... राम विभु हैं, विशद हैं... राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं...
- यह मंदिर, मात्र देव मंदिर नहीं है, यह भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है... यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है...
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