4 साल में 10 बार मिली जेल से छुट्टी... राम रहीम पर इतनी मेहरबानी क्यों?

गुरमीत राम रहीम सिरसा के अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से रेप के मामले में बीस साल की सज़ा काट रहा है.

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नई दिल्ली:

बलात्कार के दो मामलों में 20 साल की सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम, जैसे और जब चाहता है, जेल के बाहर आ जाता है. राम रहीम को एक बार फिर से 21 दिनों की फरलो मिली है. सुनारिया जेल से पुलिस सुरक्षा में मंगलवार को उसकी रिहाई हुई. फरलो के दौरान राम रहीम को बागपत के बरनावा आश्रम में रहना होगा.

हालांकि हाइकोर्ट ने कहा था कि राम रहीम को राज्य सरकार सोच-समझकर  फरलो दे. अगर पेरोल और फरलो का हिसाब लगाएं तो बीते चार साल में कुल मिलाकर दस बार राम रहीम को जेल से छुट्टी मिल चुकी है.

राम-रहीम को कब-कब मिली छुट्टी

  • 24 अक्टूबर 2020 : 1 दिन की पैरोल
  • 21 मई 2021 : 12 घंटे की पैरोल 
  • 7 फरवरी 2022 : 21 दिन की फरलो
  • जून 2022 : 30 दिन की पैरोल
  • 14 अक्टूबर 2022 : 40 दिन की पैरोल
  • 21 जनवरी 2023 : 40 दिन की पैरोल 
  • 20 जुलाई 2023 : 30 दिन की पैरोल 
  • 21 नवंबर 2023 : 21 दिन की फरलो
  • जनवरी 2024 :  50 दिन की पैरोल 
  • 13 अगस्त 2024 : 21 दिन की फरलो

ऐसे समय जब एक आम विचाराधीन क़ैदी के लिए ज़मानत मिलना बहुत मुश्किल बना हुआ है, उस वक़्त कुछ सज़ा काट रहे क़ैदियों को अगर बार-बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया जाएगा तो सवाल उठेंगे.

राम रहीम को मिले फरलो पर वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने कहा कि फरलो या परोल को लेकर अलग-अलग राज्य सरकारों ने नियम बनाए हैं. जहां तक फरलो की बात है तो ये जेल में रह रहे मुजरिम के बर्ताव पर निर्भर करता है, लेकिन राम रहीम के मामले में ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है. ऐसे में अगर फरलो की वजह राजनीति से जुड़ती है तो लोगों के मन में सवाल आ सकते हैं क्या फरलो का गलत इस्तेमाल हो रहा है?

वहीं पूर्व एएसजी केसी कौशिक ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 में परोल और फरलो दोनों का प्रावधान है. परोल के लिए ये बताना होता है कि छुट्टी के लिए परिवार में क्या बड़े कारण हैं. वहीं फरलो में कैदी के आचरण के बेसिस पर सरकार खुद छुट्टी देती है और राम रहीम का मामला राजनीति ज्यादा हो गया है. अपने फायदे के लिए सरकार राम रहीम को फरलो ज्यादा दे रही है, जबकि वो रेप के केस में सजा भुगत रहा है.तो इसमें राजनीति ज्यादा है लीगल कारण कम है.

गुरमीत राम रहीम सिरसा के अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से रेप के मामले में बीस साल की सज़ा काट रहा है. उसकी रिहाई हरियाणा में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई है, इसलिए इस पर सवाल और भी ज़्यादा उठ रहे हैं.

इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राम रहीम की अस्थायी रिहाई को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने फरलो पर फ़ैसला हरियाणा के जेल विभाग पर छोड़ते हुए कहा था कि वो किसी पक्षपात या मनमानेपन से अलग रहकर फ़ैसला करें. हरियाणा के जेल विभाग ने राम रहीम को 21 दिन की फरलो देने का फ़ैसला किया.