'रैम प्रहार' से उड़ी पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों की नींद, पढ़ें क्यों खास है ये युद्धाभ्यास

जनरल कटियार ने कहा कि भले ही युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा जाए, लेकिन निर्णायक जीत ज़मीनी ऑपरेशन से ही तय होती है. उनका कहना था कि 1965 हो या 1971, पाकिस्तान तब तक हमारी जीत स्वीकार नहीं करेगा जब तक सेना उसकी ज़मीन पर कब्जा न कर ले.

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नई दिल्ली:

पाकिस्तान की किसी नई हिमाकत की स्थिति में सेना ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण से भी ज़्यादा सख्त कार्रवाई के लिए तैयार है. हरिद्वार के दुर्गम इलाकों में युद्धाभ्यास ‘राम प्रहार' के अंतिम दिन पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से दोबारा उकसावे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, ऐसे में ऑपरेशन को फिर से शुरू करने की नौबत भी आ सकती है. यह अभ्यास इसी दृष्टि से किया जा रहा है. लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने यहां तक कहा कि सेना ने नदियां पार कर दुश्मन के इलाके में घुसने और सैन्य ठिकाने पर कब्जा करने का विशेष अभ्यास किया है, क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन में सीमा पार चेनाब, रावी और सतलुज जैसी नदियों को पार करना अनिवार्य होगा .

उत्तराखंड का हरिद्वार . गंगा नदी का किनारा. झिलमील झील के समीप घने जंगल .  करीब 15 हजार जवान . साथ में  दुश्मन के घर में घुसकर मार करने वाला  वायुसेना का जगुवार लड़ाकू विमान और अटैक  हेलीकॉप्टर अपाचे .  सेना का वेस्टर्न कमांड . सैन्य अभ्यास रैम प्रहार .मकसद दुश्मन ने दुस्साहस किया तो मिलेगा ऑपरेशन सिंदूर से भी कठोर जवाब . अंदाजा लगाइए इस सैन्य अभ्यास का क्या लेवल रहा होगा . दुश्मन के अंदर किस तरह खौैफ पैदा हुआ होगा . इसे अब तक सबसे आधुनिक और आक्रमक अभ्यास कहा जा सकता है . 

तभी तो इस सैन्य अभ्यास के खत्म होने पर पश्चिमी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन को काफी नुकसान पहुंचाया था. अब हम यह भी जानते हैं कि दुश्मन कुछ ऐसा कर सकता है जिसके लिए हमें दूसरा ऑपरेशन शुरू करना पड़े. लेकिन जैसा कि हमारी लीडरशिप ने कहा है और मैं दोहराना चाहता हूं, अगर दुश्मन कोई गलत काम करता है या कुछ करने की हिम्मत करता है तो जवाब पहले से कहीं ज्यादा कड़ा होगा और यह तैयारी उसी जवाब के लिए है. करीब महीने भर तक हरिद्वार में ऐसा विशाल और व्यापक युद्धाभ्यास आयोजित किया गया . 

 जनरल कटियार ने कहा कि भले ही युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा जाए, लेकिन निर्णायक जीत ज़मीनी ऑपरेशन से ही तय होती है. उनका कहना था कि 1965 हो या 1971, पाकिस्तान तब तक हमारी जीत स्वीकार नहीं करेगा जब तक सेना उसकी ज़मीन पर कब्जा न कर ले. उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना मल्टी डोमेन लड़ाई की तैयारी कर रही है, लेकिन अंतिम सफलता जमीनी बढ़त से ही तय होती है.

सेना के मुताबिक इस अभ्यास के बाद दुश्मन कोई मनमानी नहीं कर पाएगा और यदि वह फिर भी हिमाकत करता है, तो भारतीय सेना पहले से अधिक प्रचंड और निर्णायक कार्रवाई करेगी.  इस   सैन्य अभ्यास में नदी को पार करते हुए टैंकों की गर्जना गुजरती नजर आई तो  मैदानों व पहाड़ियों में दहाड़ती तोपों की आवाज सुनाई दी . वहीं आसमान में देसी रुद्र व अपाचे हेलीकॉप्टर लगातार दमखम गरजते रहे .  अभ्यास के दौरान सैनिक जंगलों और पहाड़ों में घुसकर कार्रवाई करते नजर आए.  दुश्मन के ठिकानों पर सटीक प्रहार करते भी दिखे . नदियों सहित अन्य प्राकृतिक बाधाओं को पार करने की क्षमता से लैस दिखे सेना के जवान . चाहे दुश्मन घने जंगलों में हो, नदी-घाटियों में, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों में, रेगिस्तानी इलाकों में या फिर अंधेरी रात की घाटियों में छिपा हो. कोशिश सैनिकों  के अंदर  हर प्रकार के भूभाग और परिस्थिति में युद्धक क्षमता विकसित  करना है .  

साफ कहे तो सेना के इस अभ्यास का जोर पाकिस्तान के भीतर घुसकर पहले पाक के सैना की चौकियों को बरबाद करना है . इसके बाद पाक पर रणनीतिक बढ़त बनाकर उसे घुटने पर लाना है . जनरल कटियार कहते है कि भारतीय सेना को सुपर-आधुनिक बनाना हमारी प्राथमिकता है. जब हमारा प्रतिद्वंद्वी अत्याधुनिक हथियारों से लैस है, तो हमें भी तकनीक, मारक क्षमता और फील्ड दक्षता में महारत हासिल करनी होगी. इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए रैम प्रहार युद्धाभ्यास आयोजित किया गया है. आधुनिक तकनीक और दुश्मन को तेजी से जवाब देने का यह अभ्यास सैन्य तैयारी , हमला होने पर जवाबी कार्रवाई और सामरिक दृढ़ शक्ति को भी दिखाता है .

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