अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु श्रीराम विराजमान (Ayodhya Ram Temple) हो चुके हैं. 22 जनवरी (सोमवार) को पूरे विधि-विधान के साथ श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ayodhya Ram Mandir Pran Pratistha) हुई. प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कारसेवकों पर गोली चलाने वाली घटना को याद करते हुए तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पर निशाना साधा.
अयोध्या की धरती से संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कारसेवकों पर गोली चलाने वाली तत्कालीन मुलायम सरकार पर इशारों में जमकर हमला किया. योगी ने कहा, "अब अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी और न ही अयोध्या नगरी कर्फ्यू की गवाह बनेगी." दरअसल, 1990 में मुलायम सिंह यादव की तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं. इसको लेकर बीजेपी लगातार सपा पर हमलावर रही है.
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हर भक्त को इस दिन का था इंतजार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा, "ऐसा लग रहा है, हम त्रेतायुग में आ गए हैं. आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है. आखिर इसी दिन की तो हर भक्त का इंतजार था. श्रीराम जन्मभूमि पूरे विश्व में एकलौता ऐसा जहां इतना लंबा संघर्ष चला."
अयोध्या राष्ट्र का मंदिर
योगी आदित्यनाथ ने कहा, "अयोध्या राष्ट्र का मंदिर है. श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा निसंदेह देश के लिए ऐतिहासिक अवसर है. निश्चिंत रहिए प्रभु राम की कृपा से अब कोई अयोध्या की परिक्रमा में बांधा नहीं बन पाएगा. अयोध्या की गलियों में अब गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी. अब अयोध्या में कर्फ्यू नहीं लगेगा."
ये राम राज्य भेदभाव रहित होगा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या की गलियां दीपोत्सव, रामोत्सव और भगवान राम के नाम से गूंज उठेंगी. क्योंकि अवधपूरी में रामलला का विराजमान हो गया है. ये राम राज्य भेदभाव रहित होगा. भव्य दिव्य राम जन्मभूमि को सच बनने के लिए सभी को धन्यवाद.
अपने भाषण में सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1990 की घटनाओं पर जो बातें कही, वो समाजवादी पार्टी पर परोक्ष हमला था. सपा मौजूदा समय में यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी है. इसका नेतृत्व अब मुलायम सिंह यादव के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव कर रहे हैं. आज समारोह के लिए आमंत्रित किए गए अखिलेश यादव ने कहा है कि वह बाद में मंदिर जाएंगे.
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1990 में क्या हुआ था?
बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) के नेतृत्व में रथ यात्रा के मद्देनजर राम जन्मभूमि आंदोलन (The Ram Janmabhoomi Movement) ने जोर पकड़ लिया था. अयोध्या में स्थिति गरमाती जा रही थी. जैसे ही बीजेपी और संघ परिवार के नेताओं ने लोगों को जुटाना शुरू किया, तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने बड़ी संख्या में फोर्स तैनात करने का आदेश दे दिया. मुलायम सिंह ने तब कहा था, ''कोई भी परिंदा भी अयोध्या में उड़ान भरने में सक्षम नहीं होगा.'' 30 अक्टूबर को यूपी पुलिस के रोके जाने के बाद भी बड़ी संख्या में कार सेवक और रामभक्त अयोध्या की ओर कूच कर रहे थे. प्रदर्शनकारी बाबरी मस्जिद (जो ढहा दी गई) की ओर जाने वाली सड़क पर पुलिस से भिड़ गए.
आगे क्या हुआ?
रामभक्तों और कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देकर मुलायम सिंह सरकार की खूब आलोचना हुई. अपनी सफाई में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने इसे "दर्दनाक, लेकिन जरूरी" फैसला बताया. उन्होंने विवादित स्थल पर शांति बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया.