50 में सिर्फ 10 घंटे ही काम ! मानसून सत्र के 2 सप्ताह में राज्यसभा की उत्पादकता में भारी गिरावट

राज्यसभा सचिवालय के आंकड़े बताते हैं कि 50 कामकाजी घंटों में से सिर्फ एक मिनट ही शून्यकाल के रूप में चल सका जबकि चार मिनट विशेष उल्लेखों पर खर्च हुए.

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संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बरकरार है और कोई काम नहीं हो पा रहा है.
नई दिल्ली:

राज्यसभा के मानसून सत्र की उत्पादकता पहले सप्ताह में 32.2 प्रतिशत से गिरकर दूसरे सप्ताह में 13.7 प्रतिशत हो गई है. राज्यसभा सचिवालय के रिकॉर्ड के अनुसार, इस अवधि में सदन की कुल उत्पादकता मात्र 21.6 प्रतिशत रही.

पहली बार, राज्यसभा सचिवालय दैनिक बुलेटिन जारी कर रहा है, जिसमें सदन के उन कार्यों को रिकॉर्ड किया जा रहा है, जिसे नहीं लिया जा सका. मानसून सत्र के पहले दो सप्ताहों में शून्यकाल में 130 निवेदन और 87 विशेष उल्लेखों पर विचार नहीं किया जा सका. हालांकि सभापति ने उन्हें स्वीकार कर लिया था. ये ऐसी विधायी प्रक्रिया थी, जिसके माध्यम से सदस्य सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को संसद में उठाते हैं.

कुल 50 कार्य घंटों में से 39.52 घंटे सदन में हंगामे की भेंट चढ़ गए और उस दौरान कोई काम नहीं हो सका. जबकि सदन निर्धारित समय से 1.12 घंटे ज्यादा बैठा, लेकिन उत्पादकता और भी कम हो गई.

इन पहले दो हफ्तों में राज्यसभा की नौ बैठकों के दौरान केवल 1.38 घंटे ही प्रश्नकाल चल सका. यह कार्य अवधि मुख्य रूप से संसद के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है. हालांकि, इस दौरान सदन ने विधायी कार्य पर 1.24 घंटे बिताए, जिसमें चार विधेयक पारित हुए. इसमें सात सदस्यों ने हस्तक्षेप किया था.

इस दौरान सदन से पारित किए गए विधेयकों में नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021; किशोर न्याय संशोधन विधेयक, 2021; फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2021 और नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021 शामिल है. इनके अलावा The Limited Liability Partnership (Amendment) Bill, 2021, और The Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (Amendment) Bill, 2021, सदन में पेश किए गए.

गौरतलब है कि पेगासस जासूसी कांड, तीनों कृषि कानून समेत अन्य मुद्दों पर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बरकरार है और कोई काम नहीं हो पा रहा है.

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