संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवाद' हटवाना चाहते थे BJP सांसद, लाया प्राइवेट बिल, हंगामा कर विपक्ष ने रोका

तेजस्वी यादव ने इसे बीजेपी की पिछले दरवाजे से चोरी करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया है, "केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संविधान बदलने की एक चोरी कल संसद में पकड़ी गयी जब इन्होंने संविधान की प्रस्तावना जिसे इसकी आत्मा कहा जाता है उसमें से “समाजवादी” शब्द को हटाने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया लेकिन हमारे सजग और सतर्क सदस्यों ने कड़ा विरोध कर इस विधेयक को वापस कराया."

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
उप सभापति ने स्पष्ट किया कि इस बिल के साथ राष्ट्रपति की मंजूरी या सिफारिश नहीं है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) चल रहा है. इस दौरान शुक्रवार (3 दिसंबर) को पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान से बीजेपी (BJP) के सांसद के जे अल्फोंस (K.J. Alphons) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, जिसका विपक्षी सदस्यों ने पुरजोर विरोध किया. इसके बाद सदन के उप सभापति हरिवंश (Harivansh) ने बिल को रिजर्व रख लिया.

दरअसल, IAS की नौकरी छोड़कर राजनेता बने केरल के निवासी के जे अल्फोंस ने प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में एक संविधान संशोधन बिल पेश किया था. बिल में यह प्रस्तावित था कि संविधान की प्रस्तावना में वर्णित 'समाजवाद' शब्द को हटा दिया जाय और उसकी जगह 'न्यायसंगत' शब्द किया जाय लेकिन जैसे ही उन्होंने इस बिल को पेश किया और उप सभापति ने उस पर सदन का ध्वनिमत जानना चाहा तो बिल के विरोध में विपक्षी दलों ने अपनी आवाज बुलंद कर दी और नो के पक्ष में ज्यादा आवाज आने लगी.

इसके फौरन बाद राजद नेता मनोज झा ने बिल का यह कहते हुए विरोध किया कि यह संविधान की आत्मा पर चोट है और सदन इसे पेश करने की अनुमति देकर संसदीय परंपरा को कलंकित ना करे. उन्होंने सदन के संचालन प्रक्रिया के नियम संख्या 62 का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे प्राइवेट बिल राष्ट्रपति की सहमति के बिना पेश नहीं किए जा सकते हैं.

न किसानों की मौत का, न रसोई गैस का, हुज़ूर के पास कोई सही आंकड़ा क्यों नहीं?

झा ने कहा, "नियम 62 कहता है कि यदि कोई बिल एक ऐसा बिल है जो संविधान संशोधन से जुड़ा है तो ऐसा बिल राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी या सिफारिश के बिना पेश नहीं किया जा सकता है, और सदस्य इस तरह की मंजूरी या सिफारिश को नोटिस के साथ संलग्न करेगा, एक मंत्री के माध्यम से सूचित किया जाएगा और नोटिस तब तक वैध नहीं होगा जब तक कि इस आवश्यकता का अनुपालन नहीं किया जाता है."

इसके बाद उप सभापति ने स्पष्ट किया कि इस बिल के साथ राष्ट्रपति की मंजूरी या सिफारिश नहीं है. उप सभापति ने इसके बाद बीजेपी सांसद को नहीं बोलने की इजाजत दी और कहा कि सदन को बिल पर आपत्ति है. उन्होंने कहा कि इस मामले में चेयर कोई फैसला नहीं लेगा बल्कि सदन तय करेगा. हंगामा होता देख सत्ता पक्ष के एक सदस्य ने उपसभापति से बिल को रिजर्व रखने की सलाह दी, जिसे सभी ने मान लिया और उस बिल को रिजर्व रख लिया गया.

शीतकालीन सत्र : 'मुझे दुख से बताना पड़ रहा है कि ऑक्सीजन संकट पर राजनीति हुई'-बोले स्वास्थ्यमंत्री

बिहार के नेता विपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे बीजेपी की पिछले दरवाजे से चोरी करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया है, "केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संविधान बदलने की एक चोरी कल संसद में पकड़ी गयी जब इन्होंने संविधान की प्रस्तावना जिसे इसकी आत्मा कहा जाता है उसमें से “समाजवादी” शब्द को हटाने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया लेकिन हमारे सजग और सतर्क सदस्यों ने कड़ा विरोध कर इस विधेयक को वापस कराया."

Advertisement


 

Featured Video Of The Day
Mahakumbh 2025: सुरक्षा, ड्रोन, स्पेशल ट्रेन....जानें क्या हैं सरकार की खास तैयारियां