- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सदानंदन मास्टर, डॉ मीनाक्षी जैन, उज्ज्वल निकम और हर्षवर्धन शृंगला को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है_
- डॉ मीनाक्षी जैन ने भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पुनःपरिभाषित किया और राम मंदिर विवाद में ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत किए.
- सदानंदन मास्टर ने कृत्रिम पैरों के सहारे शिक्षण और समाजसेवा जारी रखी, और केरल में भाजपा को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कल चार विशिष्ट व्यक्तियों को राज्य सभा में मनोनीत किया गया. महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें दो ऐसे व्यक्तित्व शामिल हैं जो लंबे समय से आरएसएस की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं. ये हैं केरल के कन्नूर के शिक्षाविद और समाजसेवी सदानन्दन मास्टर और दिल्ली से इतिहासकार डॉ मीनाक्षी जैन. इनके अलावा मशहूर सरकारी वकील उज्ज्वल निकम और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला को भी मनोनीत किया गया है.
सदानंदन मास्टर: साहसी, जुझारू, राष्ट्रवादी
सदानंदन मास्टर केरल के एक प्रसिद्ध शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा नेता हैं. वे केरल में ख़ासतौर से कन्नूर जिले में चल रही राजनीतिक हिंसा के प्रतीक हैं. पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव में उनके प्रचार में इस बात का ख़ास बात से उल्लेख किया था.
वे सदानंदन का हाथ पकड़ कर खड़े रहे और कहा था, 'उनका एकमात्र गुनाह था कि वे भारत माता की जय बोलते थे और देश के गरीबों के लिए काम करना चाहते थे. इस कारण माकपा कार्यकर्ताओं ने उनके दोनों पैर काट दिए, लेकिन सदानंदन मास्टर ने इस अन्याय के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और आज भी सेवा भाव से जनता के लिए काम कर रहे हैं.' अपने दोनों पैर काटे जाने के बावजूद उनका संघर्ष जारी रहा. वे प्रोस्थेटिक लेग्स के ज़रिए अपना काम कर रहे हैं.
सदानन्दन मास्टर का जन्म 1 मई 1964 को केरल के कन्नूर जिले के पेरिनचेरी गांव में हुआ था. उन्होंने बी.कॉम (गुवाहाटी विश्वविद्यालय) और बीएड (कालीकट विश्वविद्यालय) किया. वे त्रिशूर जिले के एक स्कूल में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक रहे हैं और 2020 में रिटायर हुए. उनका परिवार वामपंथी विचारधारा (CPI(M)) से जुड़ा था, लेकिन कॉलेज के दौरान वे RSS से जुड़े और राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुए.
कृत्रिम पैरों के सहारे शिक्षण और समाजसेवा
25 जनवरी 1994 को, जब वे 30 वर्ष के थे, उन पर वामपंथी कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमला किया और उनके दोनों पैर काट दिए. यह हमला उनकी विचारधारा बदलने और RSS से जुड़ने के कारण हुआ था. हमले के बाद भी उन्होंने कृत्रिम पैरों के सहारे समाजसेवा और शिक्षण कार्य जारी रखा.
सदानन्दन मास्टर ने केरल में भाजपा को खड़ा करने, शैक्षिक सुधारों और सामाजिक जागरूकता के लिए लगातार काम किया. वे राष्ट्रीय अध्यापक संघ के उपाध्यक्ष और ‘देशीय अध्यापक वार्ता' पत्रिका के संपादक भी रहे हैं. 2016 और 2021 में वे भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि वे चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनका संघर्ष और समर्पण लगातार चर्चा में रहा.
वे 2021 के केरल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार के रूप में कन्नूर जिले के कुथुपरम्बा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. वे इस चुनाव में विजयी नहीं हो सके. उन्हें लगभग 50,000 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. चुनाव में जीत भाकपा (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार मोहनन मास्टर ने हासिल की थी.
सदानंदन का मनोनयन बड़ा राजनीतिक संदेश
उनका राज्य सभा आना एक बड़ा राजनीतिक संदेश है. केरल में बीजेपी अपनी ताक़त बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रही है. पार्टी ने वहां राजीव चंद्रशेखर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पिछले लोक सभा चुनाव में पार्टी ने पहली बार सीट जीती. हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह केरल में दो दिन रहे जहाँ उन्होंने संगठन से जुड़ी महत्वपूर्ण बैठकों की अध्यक्षता की थी.
डॉ मीनाक्षी जैन: जिनका शोध बना राम मंदिर केस में आधार
वे भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पुनर्भाषित करने के लिए जानी जाती हैं. एक ऐसे समय जब आरएसएस भारतीय इतिहास को लेकर वामपंथी इतिहासकारों पर प्रश्नचिह्न लगाता आया है, जैन ने भारतीय दृष्टिकोण से इसे परिभाषित कर संघ की विचारधारा को मज़बूत करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है. भारतीय इतिहास, संस्कृति और मंदिर परंपरा पर शोध व लेखन के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया.
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में वर्षों तक इतिहास पढ़ाया है. साथ ही, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी, ICHR, ICSSR जैसी संस्थाओं में शोध कार्य किया. उनकी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है, जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की. डॉ जैन, टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक गिरिलाल जैन की पुत्री हैं. वे कई पुस्तकें लिख चुकी हैं इनमें प्रमुख हैं -
- ‘राम और अयोध्या'
- ‘दि बैटल फॉर राम'
- ‘सती'
- ‘फ्लाइट ऑफ डीटीज एंड रिबर्थ ऑफ टेम्पल्स'
- तीन-खंडीय ‘The India They Saw' (विदेशी यात्रियों की दृष्टि से भारत)
अयोध्या विवाद में दिए ऐतिहासिक प्रमाण
मीनाक्षी जैन ने इतिहास को भारतीय परंपरा, संस्कृति और धार्मिक संदर्भों में देखने पर बल दिया, जिससे मुख्यधारा के वामपंथी या पश्चिमी दृष्टिकोण को चुनौती मिली. मंदिरों और मूर्ति पूजा पर शोध किया है. उन्होंने मूर्ति पूजा की उत्पत्ति, मंदिरों की ऐतिहासिकता, और आक्रमणों के दौर में मंदिरों की रक्षा की ऐतिहासिक गाथाओं को प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया.
अयोध्या विवाद में ऐतिहासिक प्रमाण दिए हैं. ‘राम और अयोध्या' तथा ‘दि बैटल फॉर राम' जैसी पुस्तकों में उन्होंने ऐतिहासिक, पुरातात्विक और साहित्यिक प्रमाणों के आधार पर राम मंदिर की ऐतिहासिकता को स्थापित किया. विचारधारा में बदलाव को मान्यता मिली. उनके शोध ने रोमिला थापर, सतीश चंद्र, इरफान हबीब जैसे इतिहासकारों के दृष्टिकोण को चुनौती दी, जिससे भारतीय इतिहास लेखन में वैचारिक बहस को नया आयाम मिला.
शैक्षणिक और वैचारिक विमर्श को मिलेगी समृद्धि
डॉ मीनाक्षी के व्याख्यान और लेखन ने अकादमिक विमर्श को आम पाठकों तक पहुंचाया, जिससे समाज में ऐतिहासिक चेतना का विस्तार हुआ. हालांकि आलोचक उनके योगदान पर सवाल उठाते हैं. डॉ मीनाक्षी जैन द्वारा लिखित NCERT की ‘Medieval India' पाठ्यपुस्तक, जो 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय प्रकाशित हुई थी, काफी विवादों में रही. यह विवाद इतिहास लेखन के वैचारिक दृष्टिकोण, धार्मिक संतुलन, और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे मुद्दों से जुड़ा था. 2004 में यूपीए सरकार बनने पर इस पुस्तक को NCERT पाठ्यक्रम से हटा दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर गहरी सराहना और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने उन्हें एक प्रख्यात विद्वान, शोधकर्ता और इतिहासकार बताया और कहा कि उनका संसद में आना शैक्षणिक और वैचारिक विमर्श को समृद्ध करेगा.