हमारे देश की सत्ता को चलाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा (Rajya Sabha Election 2022) दोनों सदनों का खास महत्व है. इन सदनों में से राज्यसभा को पहला सदन या ऊपरी सदन का दर्जा दिया गया है, जिसकी कुछ सीटों पर जल्द चुनाव होने हैं. देश में जब आम चुनाव होते हैं तो राजनीतिक उतार चढ़ाव और फैसले साफ नजर आते हैं. लेकिन राज्यसभा के चुनाव हर आम इंसान की समझ में नहीं आते. वजह ये है कि राज्यसभा पहुंचने वाले सांसदों का चुनाव ( rajya sabha voting process) सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही करते हैं. आपको विस्तार से बताते हैं कि राज्य सभा क्या है, इस सदन के लिए किस तरह वोटिंग होती है और किस तरह हार जीत तय होती है.
राज्यसभा को समझिए
राज्यसभा का गठन देश में साल 1954, 23 अगस्त को किया गया था. गठन का मकसद था एक स्थायी सदन का होना. जिस तरह लोकसभा भंग हो सकती है उस तरह राज्यसभा भंग नहीं होती क्योंकि इसे स्थाई सदन माना गया है. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल भी चुने हुए सांसदों से एक साल ज्यादा यानी छह साल का होता है. संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 250 हो सकती है. इन 250 में से 238 सदस्य किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से चुने जाते हैं. शेष 12 सदस्य देश के कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकते हैं. जिन्हें राष्ट्रपति नामित करते हैं.
कैसे होता है राज्यसभा सदस्य का चुनाव?
राज्यसभा के लिए जिस तरह से चुनावी प्रक्रिया होती है, उसके अनुसार उसे इनडायरेक्ट इलेक्शन भी कहा जाता है. राज्यसभा के लिए सदस्यों का चयन हर प्रदेश के विधायक करते हैं. लेकिन विधान परिषद के सदस्य इस चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते. चयन प्रक्रिया को समझने के लिए आपको +1 का फॉर्मूला समझना जरूरी होगा. इस प्रक्रिया को समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं. उत्तर प्रदेश में इस बार 11 सीटों पर राज्यसभा सदस्य चुने जाने हैं. इस बार यूपी के लिए जीत का फॉर्मूला कुछ इस तरह का होगा. 403/ [11+1 = 34 यानी जीत के लिए एक उम्मीदवार को 34 वोटों की जरूरत होगी.
विधायकों की संख्या के हिसाब से बीजेपी के सात सदस्यों की जीत तय है. सपा के तीन सदस्य भी जीतना तय हैं. एक सीट के लिए यहां वोटों का जोड़ तोड़ होगा. जो दूसरे दलों के विधायकों का वोट जीतने में सफल होगा उसी पार्टी का एक और सदस्य राज्यसभा का रुख कर सकेगा. हर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की आबादी के अनुसार वहां की राज्यसभा सीटें तय की गई हैं.
कब होते हैं चुनाव?
राज्यसभा के लिए चुनाव हर दो साल में एक बार होते हैं. इसकी वजह ये है कि हर दो साल में इस सदन के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाता है. उनकी सीटें भरने के लिए चुनाव होते हैं. एक बार चुनने के बाद राज्यसभा के सदस्य छह साल तक बने रहते हैं.
इन सीटों पर होने हैं चुनाव
एक बार फिर राज्यसभा चुनाव होने हैं. ये चुनाव इसी महीने की दस तारीख को यानी कि 10 जून को होंगे. इस बार ये चुनाव 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर होने वाले हैं. इन सीटों में सबसे ज्यादा सीटें यूपी से ही खाली हो रही हैं. यहां की 11 सीटों के लिए चुनाव होंगे. महाराष्ट्र और तमिलनाडु की 6-6 सीटों पर चुनाव होने हैं. बिहार की 5, कर्नाटक, आंध्र और राजस्थान की 4-4, ओडिशा और मध्य प्रदेश की 3-3, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पंजाब और हरियाणा की 2-2, जबकि उत्तराखंड की एक सीट है.