रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों के बीच साफ कहा कि मुनाफा आधारित सोच गलत नहीं, लेकिन इसके साथ रणनीतिक जिम्मेदारी का भाव रखना भी जरूरी है. मुनाफे के साथ-साथ राष्ट्रवाद, कर्तव्य बोध और देश के लिए कुछ बड़ा करने का भाव होना भी महत्वपूर्ण है. रक्षा मंत्री नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन की संगोष्ठी ‘स्वावलंबन-2025' के चौथे संस्करण को संबोधित कर रहे थे.
राजनाथ ने कहा कि किसी भी उद्योग से कई कर्मचारी जुड़े होते हैं, इसलिए लाभ कमाने की सोच स्वाभाविक है, लेकिन हमें प्रॉफिट-प्लस अप्रोच चाहिए. उन्होंने कहा कि जहां उद्योग की आर्थिक गतिविधि सीधे राष्ट्रीय मिशन से जुड़ी हो, निजी कंपनियों को देशहित को अपनी केंद्रीय भूमिका मज़बूत करनी होगी.
दुनिया से आगे रहना होगा
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा तकनीक आज सबसे निर्णायक भूमिका निभाती है. बदलते भू-राजनीतिक हालात और उभरती समुद्री चुनौतियों के दौर में भारत के पास इंतजार करने की गुंजाइश नहीं है।. हमें भविष्य को देखते हुए नवाचार करना होगा. हम किसी तकनीक के दुनिया में आने का इंतजार नहीं कर सकते. उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि भारत रक्षा नवाचार के स्वर्ण युग में प्रवेश कर रहा है और इस स्वर्ण युग की नींव आप लोग रख रहे हैं.
हर पुर्जा हो स्वदेशी
रक्षा मंत्री ने जोर दिया कि रक्षा उपकरणों के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करनी ही होगी. सिंह ने कहा कि बाहर से उपकरण खरीदने का खर्च केवल कीमत तक सीमित नहीं रहता, बल्कि उसके रखरखाव, मरम्मत और स्पेयर पार्ट्स में लंबे समय तक भारी रकम लगती है. इसलिए हमारी सप्लाई चेन मजबूत और आत्मनिर्भर होनी जरूरी है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत का लक्ष्य है कि हर प्लेटफॉर्म और हर स्क्रू स्वदेशी हो. भारत में भारतीयता के भाव के साथ बने. रक्षा मंत्री ने निजी उद्योग, स्टार्टअप, अनुसंधान लैब और सरकारी संस्थानों को साझा दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता बताई.
सीडीएस ने भी दिया था संदेश
कुछ दिन पहले सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भी रक्षा उद्योगों को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि मुनाफे के साथ थोड़ी देशभक्ति भी अपेक्षित है. उन्होंने कई कंपनियों को समय पर हथियारों की सप्लाई न देने पर फटकार लगाते हुए कहा था कि बड़े वादे करने के बावजूद समय-सीमा पूरी न करना अस्वीकार्य है.














