"अब्दुल करीम टुंडा को बरी करने के खिलाफ अपील करे सीबीआई": राजस्‍थान सरकार की केंद्र से अपील

अजमेर की एक अदालत ने लगभग तीन दशक पहले देश भर में पांच ट्रेन में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बृहस्पतिवार को बरी कर दिया.

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राजस्थान ने केंद्र से आग्रह किया कि वह सीबीआई को अब्दुल करीम टुंडा को बरी करने के खिलाफ अपील करने के लिए कहे

जयपुर:

अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) को 1993 में कई ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों (1993 Serial Blast Case) के मामले में बृहस्पतिवार को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका. इस बीच बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी ने कहा कि राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह अब्दुल करीम टुंडा को बरी करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सीबीआई (CBI) को अपील दायर करने के लिए कहे.

राजस्‍थान सरकार का केंद्र से आग्रह

न्‍यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए घनश्‍याम तिवारी ने कहा, "मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी. राजस्थान सरकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, न्याय के हित में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने आज केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह सीबीआई को मामले में अपील दायर करने के लिए कहे."

अदालत में पेश नहीं किये गए कोई ठोस सबूत

टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने कहा कि सीबीआई टुंडा के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रही. उन्‍होंने कहा,  "अदालत ने आज अपने फैसले में कहा कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है. उसे सभी धाराओं से बरी कर दिया गया है. सीबीआई के वकील टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम या विस्फोटक मामले में अदालत के समक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके."

सिलसिलेवार विस्‍फोट में गई थी 80 लोगों की जान 

भाजपा ने इससे पहले 2008 जयपुर सिलसिलेवार विस्फोट मामले में आरोपियों के बरी होने के बाद कांग्रेस पर 'तुष्टीकरण' का आरोप लगाया था. 13 मई, 2008 को जयपुर बम विस्फोटों में 80 से अधिक लोग मारे गए और 183 से अधिक घायल हो गए थे उस दिन शहर में आठ विस्फोट हुए, जिससे पूरे देश में सदमे की लहर दौड़ गई. सीबीआई ने टुंडा पर 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस की पहली बरसी पर चार ट्रेनों में हुए विस्फोटों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया था.

अब्दुल करीम टुंडा को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका. वहीं, न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता की आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों (इरफान और हमीदुद्दीन) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. भारत में वांछित आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के घनिष्ठ सहयोगी टुंडा (81) पर दिसंबर 1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर विभिन्न शहरों में पांच ट्रेनों में विस्फोट करने का आरोप है. 

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