राजस्थान उच्च न्यायालय को बताया गया - "81 विधायकों ने इस्तीफे ले लिए हैं वापस"

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 81 विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर को मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के उत्तराधिकारी का निर्धारण करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक को भंग करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

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(फाइल फोटो)
जयपुर:

राजस्थान विधानसभा के सचिव ने सोमवार को राजस्थान उच्च न्यायालय को बताया कि जिन 81 विधायकों ने पिछले साल सितंबर में राजनीतिक संकट के दौरान राज्य विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को त्याग पत्र सौंपा था, उन्होंने उन्हें वापस ले लिया है. राजस्थान उच्च न्यायालय को एक रिट याचिका के जवाब में सूचित किया गया कि 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे और वापस ले लिए गए हैं.

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 81 विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर को मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के उत्तराधिकारी का निर्धारण करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक को भंग करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे समझे जा रहे थे.

जवाब में कहा गया, 'विधायकों ने राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 173 (4) के अनुसार स्वेच्छा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, ऐसी स्थिति में विधायकों का इस्तीफा कानून की नजर में गैर-स्थायी हो गया है.'राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसमें विधान सभा के अध्यक्ष को इस्तीफों पर निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसके कारण कुछ समय बाद वे (इस्तीफे) वापस ले लिये गये थे.

जवाब में कहा गया कि इस्तीफे छह विधायकों- मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप सचेतक महेंद्र चौधरी, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, मंत्री शांति धारीवाल, राम लाल जाट और रफीक खान ने पेश किए थे.इसमें कहा गया, ‘‘केवल 81 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा, जिनमें से पांच की फोटोकॉपी (प्रतियां) थीं.''

जवाब में यह भी कहा गया कि विधानसभा के कार्य संचालन आचरण नियमों के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जा सकते, जब तक कि वे 'वास्तविक और स्वैच्छिक' नहीं पाए जाते. मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.दलील पेश करने वाले याचिकाकर्ता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा, ‘‘90 पन्नों के जवाब में एक सनसनीखेज बात सामने आई है. विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया है. इसका मतलब है कि यह दबाव में किया गया है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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