राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की संभावना है. राजस्थान में उनके वफादार विधायकों के द्वारा विद्रोह ने पार्टी अध्यक्ष चुनाव के लिए केंद्रीय नेतृत्व को परेशान कर दिया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री ने आज प्रदेश में अपने प्रमुख सहयोगियों से मुलाकात की. फिर उनके पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए दिल्ली जाने की संभावना है.
पार्टी ने उनके तीन वफादारों को राजस्थान के 90 से अधिक विधायकों द्वारा विद्रोह करने के बाद नोटिस जारी किया है. राजस्थान के मंत्रियों शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को 10 दिनों के भीतर 'गंभीर अनुशासनहीनता' के नोटिस का जवाब देने को कहा गया है. इसी दौरान गहलोत के एक सहयोगी ने कहा कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे.
विधायकों ने रविवार को अशोक गहलोत के समर्थन में सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी थी. अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में हैं, ऐसे में खबर थी कि उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
कहा जाता है कि इस विद्रोह ने कांग्रेस को पार्टी के तौर पर शर्मिंदा किया और रिपोर्टों के अनुसार, गांधी परिवार भी इससे निराश है. ऐसी भी अटकलें थीं कि कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए गांधी परिवार की पसंद अशोक गहलोत दौड़ से बाहर हो गए हैं. लेकिन पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि 71 वर्षीय अशोक गहलोत "अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए रेस में हैं और इससे इनकार नहीं किया गया है."
मंगलवार शाम, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और आनंद शर्मा ने सोनिया गांधी के साथ बैठक कर अशोक गहलोत के वफादारों ने जो संकट पैदा किया है उसे हल करने को लेकर बात की थी.
राजस्थान संकट की जड़ में बताए जाने वाले गहलोत ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने से इनकार किया है. हालांकि गहलोत ने उस समय पद छोड़ने को लेकर सहमति दी थी, जब राहुल गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें कांग्रेस की 'एक व्यक्ति, एक पद' नीति के अनुरूप दोहरी भूमिका की अनुमति नहीं दी जाएगी.
राजस्थान में बदलाव की औपचारिक घोषणा रविवार को गहलोत के आवास पर विधायकों की बैठक में की जानी थी. कांग्रेस के 107 में से केवल 25 विधायक ही पहुंचे, जिनमें सचिन पायलट भी शामिल थे. अधिकांश विधायक गहलोत के वफादार द्वारा बुलाई गई समानांतर बैठक में शामिल हुए.
विधायकों ने खुले तौर पर गांधी परिवार की अवहेलना की और ऐसी शर्तें रखीं, जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद ही एक नया मुख्यमंत्री चुनना शामिल था. यदि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं, तो यह हितों का टकराव होगा, क्योंकि उन्होंने राजस्थान में अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए खुद को सशक्त बनाया है.
गहलोत ने उस सुबह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक मंदिर के दौरा का हवाला देते हुए विद्रोह में किसी भी तरह से भाग लेने से इनकार किया. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा, "मेरे हाथ में कुछ नहीं है, विधायक नाराज हैं." गहलोत ने भी माफी मांगी, लेकिन कहा गया कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना.
सचिन पायलट भी इस वक्त दिल्ली में हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना चाहते हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस दो दशक से अधिक समय के अंदर अपने पहले गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष को लाने की तैयारी कर रही है. तीनों गांधी 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से बाहर रहेंगे. अब तक कांग्रेस के दो नेताओं शशि थरूर और पवन बंसल ने नामांकन पत्र मांगा है. हालांकि पवन बंसल का कहना है कि उन्होंने कागजात अपने लिए नहीं लिए हैं.