राजस्थान के भरतपुर जिले में पत्थर खनन के विरोध में एक साधु ने खुद को आग लगा ली. पुलिस ने बताया कि साधु विजय दास को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया है जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. ब्रज पर्वत एवम पर्यावरण संरक्षण समिति नामक संस्था से जुड़े साधु भरतपुर इलाके में पत्थर खनन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. साधुऔं का मानना है कि ये इलाका पवित्र है और भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है.
नारायण दास नामके एक दूसरे साधु को एक सेलुलर टॉवर के ऊपर से पुलिस ने सुरक्षित नीचे उतारा. नारायण दास भी खनन को लेकर विरोध कर रहे थे.
कांग्रेस शासित राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस क्षेत्र को वन भूमि घोषित करने की अधिसूचना जारी करेगी. इसका मतलब है कि खदानों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा क्योंकि वे अधिसूचित वन क्षेत्र में काम नहीं कर सकती हैं. हालांकि, सरकार ने कहा कि चालू खदानें कानूनी रूप से काम कर रही हैं.
सरकार ने कहा कि अगर इन इकाइयों को बंद कर दिया गया तो करीब 2,500 लोगों की नौकरी चली जाएगी.
सरकार द्वारा पुरानी खदानों को बंद करने के आश्वासन के बाद साधुओं ने अपना धरना समाप्त कर दिया है. लंबे समय से साधुओं की मांगों को नहीं सुनने को लेकर विपक्षी भाजपा ने अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा, "राज्य सरकार ने अवैध खनन को रोकने के लिए संतों और संतों की मांग नहीं सुनी. एक संत का आत्मदाह का प्रयास इसी का नतीजा है."
गोरतलब है कि दो दिन पहले ही पड़ोसी राज्य हरियाणा में अवैध खनन को रोकने गए एक पुलिस अधिकारी पर खनन माफिया ने डंपर चढ़ा दिया था जिसके बाद पुलिस अधिकारी की घटना-स्थल पर ही मौत हो गई थी.