गैंगरेप पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार क्या उचित है? उन्नाव रेप केस में पीड़ितों को धरना स्थल से हटाने पर भड़के राहुल गांधी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी और 2019 के फैसले के खिलाफ उनकी अपील लंबित रहने तक उन्हें सशर्त जमानत दे दी है. पीड़ित पक्ष इस जमानत का विरोध कर रहा है.

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  • उन्नाव रेप केस के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली HC ने सशर्त जमानत दी है, जिससे पीड़ित पक्ष असंतुष्ट है
  • राहुल गांधी ने पीड़िता के साथ पुलिस के व्यवहार की कड़ी निंदा की और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर को 15 लाख रुपये के मुचलके और अन्य शर्तों के साथ जमानत दी है, जबकि उनकी अपील लंबित है
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नई दिल्ली:

उन्नाव रेप केस मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिलने का पीड़ित पक्ष लगातार विरोध कर रहा है. आरोपी के जमानत के खिलाफ पीड़िता की मां और उनके साथ कुछ और लोग इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे थे. लेकिन इन्हें अर्धसैनिक बलों ने प्रदर्शन स्थल से जबरदस्ती हटा दिया. इन लोगों को हटाए जाने का वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह से महिला पुलिस के जवान पीड़ित पक्ष के लोगों को जबरन वहां से हटाकर गाड़ियों में भर रहे हैं. पीड़ित पक्ष के साथ इस तरह के व्यवहार को लेकर अब राहुल गांधी का बड़ा बयान सामने आया है. 

राहुल गांधी ने इस व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट भी किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि क्या एक गैंगरेप पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? क्या उसकी “गलती” ये है कि वो न्याय के लिए अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत कर रही है? उसके अपराधी (पूर्व BJP MLA) को ज़मानत मिलना बेहद निराशाजनक और शर्मनाक है. खासकर तब, जब पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया जा रहा हो, और वो डर के साए में जी रही हो.

राहुल गांधी ने आगे कहा कि बलात्कारियों को ज़मानत, और पीड़िताओं के साथ अपराधियों सा व्यवहार - ये कैसा न्याय है? उन्होंने आगे लिखा कि हम सिर्फ़ एक मृत अर्थव्यवस्था नहीं -ऐसी अमानवीय घटनाओं के साथ हम एक मृत समाज भी बनते जा रहे हैं.लोकतंत्र में असहमति की आवाज़ उठाना अधिकार है और उसे दबाना अपराध है. पीड़िता को सम्मान, सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए - न कि बेबसी, भय और अन्याय.

पीड़िता की मां भी कर रही थीं प्रदर्शन

आपको बता दें कि मंगलवार रात पीड़िता की मां अपने वकील-कार्यकर्ता के साथ इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं. इसके बाद उन्हें वहां से हिरासत में लिया गया. पीड़ित पक्ष आज मंडी हाउस में मीडिया से बात करने की तैयारी में थे. लेकिन सीआरपीएफ की सुरक्षा में चल रही बस मंडी हाउस पर रुकी नहीं. इस मामले को लेकर एक सीआरपीएफ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि उन्हें मंडी हाउस या इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी. उन्होंने कहा कि पीड़िता और उसकी मां को जंतर-मंतर या उनके घर वापस ले जाया जाएगा.

कुछ देर बाद, पीड़िता की मां चलती बस के गेट पर दिखाई दीं. सीआरपीएफ अधिकारी उन्हें कोहनी मारते और चलती बस से कूदने के लिए कहते नजर आए. चौंकाने वाली बात यह थी कि पीड़िता और उसकी मां को ले जा रही बस में एक भी महिला सीआरपीएफ कर्मी मौजूद नहीं दिखे. सीआरपीएफ कर्मियों द्वारा लगातार धक्का दिए जाने पर पीड़िता की मां चलती बस से कूद गईं. 

इसके बाद पीड़िता की मां ने मीडिया से बात की. उन्होंने इस दौरान कहा कि हमें न्याय नहीं मिला. मेरी बेटी को बंधक बना लिया गया है. लगता है वे हमें मारना चाहते हैं. सीआरपीएफ के जवान लड़की को ले गए और मुझे सड़क पर छोड़ दिया. हम अपनी जान दे देंगे. हम विरोध प्रदर्शन करने जा रहे थे, लेकिन सीआरपीएफ के जवान उसे जबरदस्ती ले गए. हम मंडी हाउस में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे थे. 

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दिल्ली हाईकोर्ट ने दी है जमानत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कुलदीप सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी और 2019 के फैसले के खिलाफ उनकी अपील लंबित रहने तक उन्हें सशर्त जमानत दे दी है. न्यायालय ने तर्क दिया कि 2019 से पहले के पीओसीएसओ अधिनियम के तहत, एक विधायक "लोक सेवक" या "विश्वास के पद पर आसीन व्यक्ति" की श्रेणी में नहीं आता है, जिसके कारण लागू न्यूनतम सजा को घटाकर सात वर्ष कर दिया गया है - सेंगर पहले ही सात वर्ष से अधिक जेल में बिता चुका है. राहत की शर्तों में 15 लाख रुपये का निजी मुचलका, केवल दिल्ली में रहना, पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में प्रवेश न करना, परिवार से संपर्क न करना या उन्हें धमकी न देना, पासपोर्ट जमा करना और साप्ताहिक पुलिस रिपोर्ट करना शामिल है.  सेंगर पीड़िता के पिता की हिरासत में मृत्यु के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है. 

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