राहुल गांधी की 4 महीने बाद लोकसभा की सदस्‍यता बहाल, अविश्वास मत से कुछ दिन पहले हुई संसद में वापसी

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है. अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है.

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नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता लगभग चार महीने बाद बहाल हो गई है. इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है. राहुल गांधी की सदस्‍यता ऐसे समय में बहाल हुई है, जब संसद में कुछ दिनों बाद ही अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस होने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम के बारे में उनकी टिप्पणियों के बाद मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा मिलने के बाद मई में राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में, पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए गांधी ने कहा था कि सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है?

इस संबंध में लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी की. सचिवालय ने अधिसूचना में कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार अगस्त के फैसले के मद्देनजर राहुल गांधी की अयोग्यता संबंधी 24 मार्च की अधिसूचना का क्रियान्वयन आगामी न्यायिक फैसले तक रोका जाता है.

अधिसूचना में कहा गया है, "24 मार्च, 2023 की अधिसूचना की निरंतरता में सुप्रीम कोर्ट ने चार अगस्त, 2023 को विशेष अनुमति अपील (सीआरएल) संख्या 8644/2023 को लेकर एक आदेश पारित किया है, जिसमें केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य श्री राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी गई है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सूरत) की अदालत द्वारा दिनांक 23 मार्च, 2023 को दोषसिद्धि का आदेश पारित किया गया था."

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इसमें यह भी कहा गया है, "भारत के उच्चतम न्यायालय के दिनांक चार अगस्त, 2023 के आदेश के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ई) के प्रावधानों के संदर्भ में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के आलोक में श्री राहुल गांधी की (बतौर सदस्य) अयोग्यता पर रोक लगा दी गई जो आगे न्यायिक आदेशों पर निर्भर करेगी."

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कांग्रेस ने अपने नेता की सदस्यता बहाल होने का स्वागत किया और कहा कि वह चाहती है कि राहुल गांधी लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में मुख्य वक्ता हों.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होना स्वागत योग्य कदम, यह फैसला भारत के लोगों, खासकर वायनाड की जनता के लिए राहत ले कर आया है.

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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है. अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है. न्यायाधीशों ने कहा था कि अयोग्यता का प्रभाव न केवल व्यक्ति के अधिकारों को बल्कि मतदाताओं को भी प्रभावित करता है.माफी मांगने से लगातार इनकार करने वाले राहुल गांधी ने राहत के बाद ट्वीट किया था कि चाहे कुछ भी हो, मेरा कर्तव्य वही रहेगा. भारत के विचार की रक्षा.

शीर्ष अदालत गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम' से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी कि “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?"

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