"राजनीतिक नेता 10-15 दिनों में पैदा नहीं होते हैं, नेता टेलीविजन बहस में भाग लेने से नहीं बनते हैं," कांग्रेस के राहुल गांधी ने रविवार को लुधियाना में एक वर्चुएल रैली में चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी के मुख्यमंत्री दावेदार घोषित करने से पहले ये बातें कही. इसके साथ ही नवजोत सिद्धू की शीर्ष पद की आकांक्षा एक बार फिर पूरी नहीं हो सकी. हालांकि, राहुल गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया कि निर्णय उनका नहीं था. उन्होंने कहा, "मैंने इसके बारे में फैसला नहीं किया है. मैंने पंजाब के लोगों, युवाओं, कार्य समिति के सदस्यों से यह पूछा. मेरी राय हो सकती है लेकिन आपकी राय मुझसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. पंजाबियों ने हमें बताया कि हमें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो गरीबों को समझें.”
यह रेखांकित करते हुए कि पार्टी के पास "नेताओं को विकसित करने की प्रणाली" है, उन्होंने अपना उदाहरण दिया, जिसे सिद्धू को एक संदेश के रूप में देखा गया था, जो भाजपा में 13 साल बाद 2017 के चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा, "मैं 2004 से राजनीति में हूं. पिछले छह या सात सालों में मैंने जितना सीखा है, उतना कभी नहीं सीखा है. जो लोग सोचते हैं कि राजनीति एक आसान काम है, वे गलत हैं. कई टिप्पणीकार हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि एक नेता को तैयार करना आसान है."
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अपने संबोधन में उन्होंने दो उम्मीदवारों, सिद्धू और चन्नी को सारांशित किया. उन्होंने 40 साल पहले दून स्कूल में एक क्रिकेट मैच में पूर्व क्रिकेटर सिद्धू के साथ अपनी मुलाकात और इसके बाद की मुलाकातों के बारे में अल्पज्ञात विवरणों को याद किया. उन्होंने कहा, "चन्नी एक गरीब परिवार के बेटे हैं. वह गरीबी जानते हैं. क्या आपने उसमें अहंकार देखा? वह जाते हैं और लोगों से मिलते हैं. चन्नी गरीबों की आवाज हैं."
मुख्यमंत्री चन्नी और भाजपा के दो सबसे बड़े प्रचारकों के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने कहा, "मोदी जी प्रधानमंत्री हैं, योगी जी मुख्यमंत्री हैं. क्या आपने पीएम को लोगों से मिलते और जाते देखा है? क्या आपने पीएम को सड़क पर किसी की मदद करते देखा है? पीएम मोदी एक राजा हैं, वह किसी की मदद नहीं करेंगे."
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बता दें कि नवजोत सिद्धू, जिन्होंने अपने संबोधन में स्वीकार किया था कि वह "राहुल गांधी के फैसले से पहले ही सहमत हैं," ने कहा, "भले ही आप मुझे निर्णय लेने की शक्ति न दें, फिर भी मैं अगले मुख्यमंत्री का समर्थन करूंगा". यह कहते हुए कि उन्होंने केवल पंजाब के कल्याण की मांग की, सिद्धू ने कहा, "मेरे साथ शोपीस की तरह व्यवहार न करें".
गौरतलब है कि क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद छोड़े जाने के बाद कुर्सी मिलने की उम्मीद की थी. हालांकि ऐसा न होने पर वह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार के एक अथक आलोचक बन गए थे. उन्होंने सोनिया गांधी तक को सरकार की नीतियों के बारे में उनकी राय लिखी और उनसे सरकार को निर्देश देने की भी अपील की थी.
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