हर कोई चौंक गया. कुछ ऐसा ही तीखा बयान सोनिया गांधी ने भी कहा था , मौत का सौदागर. चुनाव में अपने वोटर के सामने हीरो बनने की छवि में ऊटपटांग बयान फायदा कम और नुकसान ज्यादा करते हैं. तब-जब मोदी राष्ट्र के प्रधानमंत्री भी हैं , उनके खिलाफ ऐसे बयान दोनों तरफ के वोटर को एग्रेसिव करते हैं.
मोदी के खिलाफ नाचने वाले राहुल गांधी के बयान ने मोदी के हार्डकोर सपोर्टर को जबरदस्त गुस्से डाला है. खासकर शहरी मतदाताओं में. अलग अलग रूप में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अधिकांश प्रतिक्रिया काफी स्वाभाविक हैं.
राहुल गांधी के पास कई अन्य बातें थी जिन्हें वो बोल सकते थे लेकिन मालूम नहीं किस परिस्थिति में ये ऐसे बयान बोले. गौरतलब है कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहां नाचना गाना अभी भी सभ्य जीवन का प्रतीक नहीं माना जाता है.
राजनीति में क्षेत्रीय सभ्यता की समझ रखनी होती है. इसमें इंदिरा गांधी काफी समझदार थीं. पूर्वी भारत आते ही वो माथे पर पल्लू रखती थीं. मोदी भी क्षेत्र के हिसाब से वहां की बोली बोलते हैं. कई बार बिहार में वो मगही या भोजपुरी के संवाद से अपना भाषण शुरू करते हैं. यहां पर राहुल गांधी सिवाय अपने कोर वोटर किसी और से कनेक्ट नहीं कर पाते हैं.
बिहार में एक कहावत है कि बोली गोली से भी ज्यादा चोट करती है.अपनी बोली बोलते वक्त संयम रखना चाहिए . इसमें कोई शक नहीं की राहुल गांधी के बयान के बाद मोदी के समर्थक थोड़े तेवर में हैं. मतदाता इतने ही संवेदनशील होते हैं की सन 2015 के चुनाव में लालू परिवार के खिलाफ बोले गए मोदी के हल्के बयान भाजपा के खिलाफ गए थे.
अब जब हर हाथ स्मार्ट फोन हैं और कुछ भी और कोई भी संवाद पल भर में वायरल हो जा रहा है. चुनावी मौसम में हर बयान को तौला और परखा जाएगा, फिर समाज की सबसे बड़ी शक्ति, राजनीतिक शक्ति को काबिज करने के लिए अति सावधानी की जरूरत है . शायद , राहुल गांधी हल्की चूक कर गए हैं. अब इसकी भरपाई वो कैसे करेंगे, अब आगे के बयान तय करेंगे.














