ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद रविवार को खोला गया है. रत्न भंडार खोलने के दौरान राज्य सरकार द्वारा गठन एक टीम वहां मौजूद रही. इस टीम में उड़ीसा हाईकोर्ट के न्यायाधीश बिश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के नाममात्र राजा 'गजपति महाराजा' के एक प्रतिनिधि शामिल था. रत्न भंडार में दो कक्ष हैं- एक बाहरी और एक आंतरिक कक्ष. इन दोनों कक्षों को खोला गया है. हालांकि, आंतरिक कक्ष के ताले नकली चाबियों से नहीं खुल पाए. जिसके बाद यहां लगे तीन तालों को तोड़ा गया था.
नकली चाबी से ताला न खुलने पर ओडिशा सरकार ने सोमवार को कहा कि वह इस बात की जांच करेगी, आखिरी क्यों 14 जुलाई को आंतरिक कक्ष के ताले नकली चाबियों से क्यों नहीं खुल पाए. 4 अप्रैल 2018 को तत्कालीन उड़ीसा सरकार ने रत्न भंडार को भौतिक जांच के लिए फिर से खोलने का प्रयास किया था, लेकिन चाबियां न मिलने के कारण यह प्रयास असफल रहा था. कुछ दिनों बाद सरकार ने कहा था कि नकली चाबियां मिल गई हैं.
इस वजह से खोल गया रत्न भंडार
अधिकारियों के अनुसार आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है. इसके पहले 1978 में इसे खोला गया था. राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों ने रविवार दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में प्रवेश किया और अनुष्ठान करने के बाद रत्न भंडार पुनः खोला गया. एएसआई के अधीक्षक गड़नायक ने बताया कि रत्न भंडार की मरम्मत करने के लिए मैकेनिकल, सिविल और ढांचागत निर्माण कार्य से जुड़े कई अभियंता निरीक्षण करेंगे.
छह संदूक में रखा गया कीमती सामान
रत्न भंडार में रखे गए कीमती सामान को ले जाने के लिए लकड़ी के छह संदूकों का इस्तेमाल किया गया. इन संदूकों को 48 घंटे में बनाकर तैयार किया गया था. संदूकों के अंदरूनी हिस्से में पीतल लगाया गया और बनाने के लिए सागवान की लकड़ी का प्रयोग किया गया था. ये संदूकें 4.5 फुट लंबी, 2.5 फुट ऊंची और 2.5 फुट चौड़ी थे.
क्या सच में रत्न भंडार में है सांप
ऐसा कहा जाता है कि रत्न भंडार में रखे गए आभूषणों की रक्षा एक सांप करता है. इस बारे में पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि अंदर कोई सांप या कीड़ा नहीं मिला. वहीं रत्न भंडार को खोलने से पहले वहां पर 12 सपेरे लेकर गए थे.
रत्न भंडार रहा चुनावी मुद्दा
ओडिशा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को पुन: खोलना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा था. भाजपा ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा था और लोगों से वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतती है तो रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास करेगी. वहीं सत्ता में आने के बाद भाजपा ने अपना ये वादा पूरा किया.
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