गन्ना किसानों (Sugarcane farmers) ने अपनी फसल के उचित मूल्य की मांग करते हुए शुक्रवार को जालंधर-अमृतसर हाईवे (Jalandahr Amritsar highway) ब्लॉक कर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग सड़क के बीच में डेरा डाले हुए थे. जिसके चलते दोनों शहरों के साथ-साथ लुधियाना (Ludhiana), पठानकोट (Pathankot) और आसपास के क्षेत्रों का यातायात डायवर्ट करना पड़ा. विरोध प्रदर्शन में एनएच 1 पर सैकड़ों लोग किसान संघ के झंडे लहराते और सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए दिखे. इस विरोध प्रदर्शन के लिए 32 किसान संघ एकत्र हुए हैं.
विरोध कर रहे किसानों ने धनोवली गांव के पास रेलवे ट्रैक को भी जाम कर दिया, जिसके चलते शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस (अमृतसर से दिल्ली) को जालंधर स्टेशन पर रोकना पड़ा. एसवीडीके वंदे भारत एक्सप्रेस सहित कम से कम सात अन्य ट्रेनें प्रभावित हुई हैं.
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दोआबा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले एकत्र हुए किसानों ने शिकायत की है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ना किसानों को ₹48 प्रति क्विंटल अधिक मिलते हैं. किसान नेताओं ने कहा कि हरियाणा में गन्ने की प्रति क्विंटल कीमत पिछले साल 350 रुपये और इस साल 358 रुपये थी. पंजाब में पिछले पांच वर्षों से कीमत ₹ 310 पर बनी हुई है.
इससे पहले आज अमरिंदर सिंह सरकार ने ₹15 प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की. नाराज किसानों ने सीएम द्वारा की गई इस मूल्य वृद्धि को अपर्याप्त माना है. किसानों की मांग है कि गन्ने की कीमत ₹ 70 प्रति क्विंटल बढ़ाई जाए. किसानों ने पंजाब सरकार से करीब 200 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की भी मांग की है.
यह पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित गन्ना किसानों से विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा उपज की खरीद के लिए देय ₹ 18,000 करोड़ से अधिक का हिस्सा है. यूपी के किसानों ने योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा बकाया भुगतान नहीं करने पर इसी तरह के विरोध की चेतावनी दी थी.
यह विरोध तब सामने आया है जब केंद्र को किसानों के असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों में ज्यादा संख्या पंजाब के किसानों की है.
पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और उनसे उन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया, जिनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन एक साल से अधिक समय से चल रहे हैं.
अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री से कहा कि पंजाब और अन्य राज्यों में कृषि कानूनों के खिलाफ "व्यापक आक्रोश" है, और विरोध प्रदर्शनों में "400 से अधिक किसानों और खेत श्रमिकों की जान चली गई".
किसानों का कहना है कि वे चाहते हैं कि तीनों कानूनों को खत्म कर दिया जाए, लेकिन केंद्र केवल संशोधन करने को तैयार है. केंद्र सरकार का कहना है कि कानून लंबे समय में फायदेमंद साबित होंगे.