प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि लोक सेवकों को नवीनतम प्रौद्योगिकीय विकास के साथ खुद को अद्यतन रखने की आवश्यकता है ताकि बढ़ते मानकों को पूरा किया जा सके. उन्होंने नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर भी जोर दिया. मोदी ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, नए विचार प्राप्त करने के लिए स्टार्टअप, शोध एजेंसियों और युवाओं से मदद लेने का भी सुझाव दिया.
मोदी ने यहां डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में ‘कर्मयोगी सप्ताह' -- राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह -- की शुरुआत करने के बाद कहा, ‘‘लोक सेवकों को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ खुद को अद्यतन रखने की जरूरत है ताकि वे बढ़ते मानकों को पूरा कर सकें, जिसमें मिशन कर्मयोगी मददगार साबित हो सकता है.''
लोक सेवकों की क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2020 में राष्ट्रीय लोक सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम या मिशन कर्मयोगी की शुरुआत की गई थी. इसमें वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ भारतीय लोकाचार पर आधारित लोक सेवा की भी कल्पना की गई है.
आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एक अवसर के रूप में देखती है, वहीं ‘‘भारत के लिए यह एक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है.''
उन्होंने दो एआई के बारे में बात की, एक ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' और दूसरा ‘एस्पिरेशनल इंडिया' (आकांक्षी भारत). प्रधानमंत्री ने दोनों के बीच संतुलन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि अगर हम आकांक्षी भारत की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सफलतापूर्वक उपयोग करते हैं, तो इससे परिवर्तनकारी बदलाव हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोक सेवा प्रशिक्षण संस्थान अलग-अलग काम करने को मजबूर होते रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने उनके बीच साझेदारी और सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है. उन्होंने प्रशिक्षण संस्थानों से संचार के उपयुक्त तंत्र स्थापित करने, एक-दूसरे से सीखने, चर्चा करने और वैश्विक स्तर के सर्वोत्तम तौर तरीकों को अपनाने तथा समग्र सरकारी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया.
उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के दौरान मिले अनुभव ‘‘हमें कार्य प्रणालियों को बेहतर बनाने की क्षमता प्रदान करेंगे, जिससे हमें 2047 तक विकसित भारत के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.''
प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में उठाए गए उन कदमों की चर्चा की, जिसका असर आज लोगों को महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि यह सरकार में काम करने वाले लोगों के प्रयासों और मिशन कर्मयोगी जैसी पहल के प्रभाव से संभव हुआ है.