सरकार के बातचीत प्रस्ताव पर आज फैसला लेंगे किसान, बनाई 5 सदस्यीय कमेटी

केंद्र सरकार ने किसानों (Farmers Protest) को बातचीत का प्रस्ताव दिया है. किसान नेताओं की पांच सदस्यीय कमेटी तय करेगी कि सरकार से जो प्रस्ताव मिला है, उस पर बातचीत हो या नहीं.

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किसान नए कृषि कानून वापस लेने की मांग पर डटे हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) की जयंती पर आज (23 दिसंबर) 'किसान दिवस' (National Farmers' Day) मनाया जाता है. एक ओर जहां 'किसान दिवस' मनाया जा रहा है, तो दूसरी ओर हजारों की संख्या में किसान नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर धरने (Farmers Protest) पर बैठे हैं. केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों को बातचीत का प्रस्ताव दिया है. किसान नेता आज एक बैठक कर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. इस कमेटी में प्रेम सिंह भंगू, हरेंद्र सिंह लक्खोवाल, कुलदीप सिंह आदि शामिल हैं. किसान नेताओं की यह कमेटी तय करेगी कि सरकार से जो प्रस्ताव बातचीत का मिला है, उस पर बातचीत हो या नहीं. यह पांच सदस्य किसान नेताओं की कमेटी सरकार के प्रपोजल को लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी और उसके बाद उस ड्राफ्ट पर 40 किसान नेताओं की मीटिंग होनी है, उस मीटिंग में इस ड्राफ्ट को रखा जाएगा.

'किसान दिवस' पर राजनाथ सिंह को उम्मीद- जल्द आंदोलन वापस लेंगे अन्नदाता

संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग आज दोपहर 2 बजे होगी. इस मीटिंग में यह फैसला लिया जाएगा कि सरकार से बातचीत हो या नहीं और अगर हो तो उसकी रूपरेखा क्या होगी. 'किसान दिवस' के अवसर पर किसान संगठनों ने आंदोलनकारी किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए देशवासियों से आज एक समय का भोजन छोड़ने की अपील की है. किसान नेता कुलवंत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को सिंघू बॉर्डर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आगे की रणनीति पर चर्चा की जानकारी दी थी.

Kisan Diwas 2020: क्यों 23 दिसंबर को मनाया जाता है किसान दिवस ?

गौरतलब है कि आज चौधरी चरण सिंह की जयंती पर कई राजनेताओं ने उन्हें याद किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ देर पहले ट्वीट किया, 'आज किसान दिवस के अवसर मैं देश के सभी अन्नदाताओं का अभिनंदन करता हूँ। उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा का कवच प्रदान किया है. कृषि क़ानूनों को लेकर कुछ किसान आंदोलनरत हैं. सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है. मैं आशा करता हूँ कि वे जल्द ही अपने आंदोलन को वापिस लेगें.'

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