सांस लेना मुझे मार रहा... प्रदूषण के खिलाफ फूटा दिल्ली का गुस्सा, इंडिया गेट पर बच्चों-बुज़ुर्गों का प्रदर्शन

कुछ प्रदर्शनकारियों ने सरकारी आंकड़ों की सत्यता पर भी सवाल उठाया. प्रेरणा मेहरा ने पूछा, "क्या सरकार द्वारा जारी किए गए AQI के आंकड़े अब भी सच हैं? प्रदूषण बढ़ने पर AQI निगरानी केंद्रों के पास पानी छिड़कने के वीडियो देखने के बाद मैं इस पर भरोसा नहीं कर सकती."

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  • दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक रविवार को 370 के बहुत खराब स्तर पर पहुंच गया, जिससे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ.
  • प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य आपातकाल बताया, तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की, बच्चों की सेहत पर चिंता जताई.
  • आर्थिक असमानता और सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए, गरीब वर्ग प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित हैं.
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नई दिल्ली:

रविवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 370 के "बहुत खराब" स्तर पर पहुंच गया, जिससे आक्रोशित नागरिकों ने इंडिया गेट के पास मान सिंह रोड पर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों में बच्चे, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भी शामिल थे, जिन्होंने 'स्मॉग से आजादी' और 'सांस लेना मुझे मार रहा है' जैसे नारों वाली तख्तियां थाम रखी थीं.

स्वास्थ्य आपातकाल और सरकार की विफलता

प्रदर्शनकारियों ने इसे 'स्वास्थ्य आपातकाल' बताते हुए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह एक स्वास्थ्य आपातकाल है, दोषारोपण का खेल नहीं. कोशिशों और गलतियों के कारण हमारे बच्चे असफल रहे हैं." विरोध प्रदर्शन में शामिल एक डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "दिल्ली में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े पहले से ही खराब हैं. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से हृदय रोग, स्ट्रोक और अस्थमा होता है."

कई लोगों ने सरकार की निष्क्रियता और "दोषारोपण के खेल" पर गुस्सा व्यक्त किया. एक डीयू छात्र ने कहा, "हर सर्दी में मुझे खून की खांसी होती है, फिर भी सरकार पंजाब के किसानों या पिछली सरकार को दोषी ठहराती रहती है." एक 76 वर्षीय निवासी ने कहा, "सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन लोगों को तकलीफ होती है. मुझे अपने पोते-पोतियों की चिंता है."

आर्थिक असमानता और डेटा पर संदेह

प्रदर्शनकारियों ने इस संकट के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को भी उजागर किया. एक महिला ने कहा, "अमीर लोग एयर प्यूरीफायर खरीद सकते हैं या पहाड़ों की ओर भाग सकते हैं, लेकिन हमारा क्या?" एक अन्य प्रदर्शनकारी, ज्योत्सना सिंह ने बताया कि गरीब लोग, जैसे रेहड़ी-पटरी वाले और ऑटो चालक, सड़क उत्सर्जन से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.

कुछ प्रदर्शनकारियों ने सरकारी आंकड़ों की सत्यता पर भी सवाल उठाया. प्रेरणा मेहरा ने पूछा, "क्या सरकार द्वारा जारी किए गए AQI के आंकड़े अब भी सच हैं? प्रदूषण बढ़ने पर AQI निगरानी केंद्रों के पास पानी छिड़कने के वीडियो देखने के बाद मैं इस पर भरोसा नहीं कर सकती."

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, जिसमें केवल नारे और बैनर शामिल थे. इसके बावजूद, दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल दंगा-रोधी उपकरणों के साथ मौके पर पहुंचे. बच्चों सहित कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया. डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने इन गिरफ्तारियों को "निवारक उपाय" बताया और कहा कि इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं थी, इसके लिए जंतर-मंतर निर्धारित स्थान है.

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विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा, "हमने मुख्यमंत्री से मिलने का समय माँगा था, लेकिन मना कर दिया गया... यह साफ़ हवा का मामला है, राजनीति का नहीं."

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. दिल्ली आप प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने प्रदर्शन को "गैर-राजनीतिक" बताते हुए कहा, "हमें खुशी है कि प्रदूषण जैसे मुद्दे पर एक गैर-राजनीतिक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया है. डीपीसीसी, सीपीसीबी, सीएक्यूएम और आईएमडी जैसी प्रमुख संस्थाएँ आंकड़ों में हेराफेरी कर रही हैं... इससे विश्वास की कमी पैदा होती है."

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जवाब में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिरसा ने AAP पर हमला बोला. उन्होंने कहा, "आप ने दस साल तक दिल्ली पर शासन किया और इसकी हवा और पानी को ज़हरीला बना दिया... हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन हम उस हवा को साफ़ नहीं कर सकते जिसे आप ने पिछले एक दशक में प्रदूषित किया है."

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