सरकार ने कॉलेज शिक्षक बनने के लिए इस वर्ष की मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (NEET-UGC) और यूजीसी-नेट (UGC-NET) में हेराफेरी करने वालों के खिलाफ हाल ही में अधिसूचित सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का फैसला किया है. इस फैसले का मतलब यह होगा कि गलत काम करने वालों को आईपीसी के प्रावधानों के तहत मिलने वाली सजा से भी अधिक कड़ी सजा मिलेगी.
सरकारी सूत्रों ने के मुताबिक नीट-यूजी और यूजीसी-नेट के पेपर लीक होने की घटना शनिवार को नए केंद्रीय कानून की अधिसूचना से पहले की है, लेकिन सीबीआई सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के तहत अपराधों की जांच करेगी और आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करेगी. बता दें कि इस कानून को पिछली लोकसभा के अंतिम सत्र में फरवरी में अधिनियमित किया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को कार्मिक और लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने केंद्र द्वारा सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के नियमों को भी अधिसूचित किया गया, जो सार्वजनिक परीक्षाओं के दौरान धोखाधड़ी में शामिल लोगों के खिलाफ जांच करने और रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं.
सार्वजनिक परीक्षा के नियमों में क्या होंगे प्रावधान
- राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की स्थापना - ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षण आयोजित करने के लिए मानदंड, मानक और दिशानिर्देश तैयार करना.
- अनिवार्य उपाय - लीक को रोकने के लिए परीक्षा पत्रों के प्रबंधन और वितरण के लिए सख्त प्रोटोकॉल, परीक्षा सामग्री के लिए एन्क्रिप्शन और सुरक्षित संचरण विधियों जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना.
- निवारक कार्रवाई - परीक्षा केंद्रों का नियमित ऑडिट और निरीक्षण, परीक्षा की सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में शामिल कर्मियों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण.
- शिकायत निवारण - छात्रों और हितधारकों के लिए अनियमितताओं और शिकायतों की रिपोर्ट करने, समय पर जांच और समाधान के लिए एक समर्पित तंत्र की स्थापना.
- कारावास - परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने या अन्य अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने का दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को कारावास का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी अवधि अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
- जुर्माना - अपराधियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. इन जुर्मानों का उद्देश्य अनुचित व्यवहार में शामिल होने के खिलाफ़ वित्तीय निवारक के रूप में कार्य करना है.
- अयोग्यता - धोखाधड़ी का दोषी पाए जाने वाले अभ्यर्थियों को एक निश्चित अवधि के लिए परीक्षा देने से अयोग्य घोषित किया जा सकता है
- परिणामों को रद्द करना - अनुचित आचरण में संलिप्त पाए जाने वाले अभ्यर्थियों के परीक्षा परिणाम रद्द किए जा सकते हैं.
- सहायता करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई - शैक्षणिक संस्थान, कोचिंग सेंटर या कोई भी अन्य संस्था जो अनुचित साधनों की सुविधा प्रदान करने में संलिप्त पाई जाती है, उसके खिलाफ जुर्माना और अन्य दंड सहित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है
- ब्लैकलिस्टिंग - अनुचित व्यवहार के लिए बार-बार दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है, जिससे उन्हें भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में भाग लेने या उन्हें सुविधा प्रदान करने से रोका जा सकता है.
- रिपोर्टिंग और जवाबदेही - परीक्षा निकायों द्वारा अनुचित व्यवहारों की घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट न करने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
पेपर लीक में शामिल लोगों को हो सकती है 10 साल की जेल
इसका मतलब यह है कि बिहार और अन्य जगहों पर पेपर लीक में शामिल छात्रों और साथ ही इसमें शामिल लोगों को 10 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. इसी तरह, गोधरा जैसे स्थानों पर कथित तौर पर अनुचित साधनों का सहारा लेने वाले छात्रों को कम से कम तीन साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. इस कानून का उद्देश्य यूपीएससी, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और एनटीए द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है.
शिक्षण संस्थानों पर भी लग सकता है जुर्माना
नियमों के अनुसार, शिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर या कोई भी अन्य संस्था जो अनुचित साधनों को बढ़ावा देने में संलिप्त पाई जाती है, उस पर जुर्माना और अन्य दंड सहित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. हाल ही में हुई अनियमितताओं में "कोचिंग सेंटर" की संलिप्तता की जांच पहले से ही की जा रही है. कोचिंग संस्थानों और उनके कर्मियों के साथ-साथ परीक्षा अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं को 5-10 साल तक की जेल हो सकती है.
धोखाधड़ी, जालसाजी और पेपर लीक से निपटने के लिए ये हैं सख्त नियम
ये उपाय धोखाधड़ी, जालसाजी और पेपर लीक से निपटने के लिए मौजूदा नियमों की तुलना में काफी सख्त हैं, जिसके लिए अधिकतम तीन साल की कैद की सजा हो सकती है. इन नियमों के तहत राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी एनआरए को अन्य जिम्मेदारियों के अलावा कंप्यूटर आधारित परीक्षण (सीबीटी) के लिए मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश स्थापित करने की आवश्यकता है.
नए नियमों के तहत होगी सरकारी एजेंसियों की सेवा की नियुक्ति
नियमों में "सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा अन्य सरकारी एजेंसियों की सेवाओं की नियुक्ति", "मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तैयार करना" और "अनुचित साधनों या अपराधों की घटनाओं की रिपोर्टिंग" के प्रावधान शामिल हैं. परीक्षा से पहले की गतिविधियां, जैसे सार्वजनिक परीक्षा केंद्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए पूर्व-ऑडिट, उम्मीदवार चेक-इन, बायोमेट्रिक पंजीकरण, सुरक्षा और स्क्रीनिंग, सीट आवंटन, प्रश्न पत्र सेट करना और लोड करना, निरीक्षण, परीक्षा के बाद की गतिविधियां और स्क्राइब उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश भी मानदंडों का हिस्सा होंगे.
नए नियमों में अपराधों की घटनाओं की होगी रिपोर्टिंग
नए नियमों में अनुचित साधनों या अपराधों की घटनाओं की रिपोर्टिंग और "लोक सेवक के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं" के प्रावधान भी शामिल हैं. इस प्रयोजन के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा एक समिति गठित की जा सकती है, जो सभी प्रासंगिक सूचनाओं की जांच करेगी तथा अपने निष्कर्ष सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को प्रस्तुत करेगी.