- प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े बैंक फ्रॉड मामले में कई शहरों की संपत्तियां जब्त की हैं.
- मुंबई, नवी मुंबई, पुणे, चेन्नई और भुवनेश्वर की संपत्तियों की कुल कीमत एक हजार चार सौ करोड़ रुपये से अधिक है.
- अब तक लगभग नौ हजार करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं, जो धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ी हैं.
रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) से जुड़े बैंक फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक और बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने देश के कई शहरों की महंगी प्रॉपर्टीज़ अटैच कर दी हैं. यह कार्रवाई ED की स्पेशल टास्क फोर्स ने की है. ताज़ा कदम में मुंबई के Dhirubhai Ambani Knowledge City (DAKC) और मिलेनियम बिज़नेस पार्क (नवी मुंबई) की कई इमारतें, साथ ही पुणे, चेन्नई और भुवनेश्वर में स्थित जमीन और इमारतें मिलाकर कुल 1,452.51 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई हैं. अब इस पर रिलायंस ग्रुप का बयान सामने आया है.
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अब तक 8,997 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच
इससे पहले भी ED, RCOM और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 7,545 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां अटैच कर चुका है. अब यह कुल रकम बढ़कर 8,997 करोड़ रुपये हो गई है. ED की जांच एक FIR के आधार पर शुरू हुई, जो CBI ने RCOM, अनिल अंबानी और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की थी. इन पर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं.
ED की कार्रवाई पर रिलायंस ग्रुप का बयान
ED की कार्रवाई पर रिलायंस ग्रुप की सफाई सामने आई है. उन्होंने कहा है कि ईडी की मीडिया विज्ञप्ति के मुताबिक, कुर्क की गई संपत्तियां रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की हैं, जो 2019 से - यानी पिछले छह सालों से रिलायंस समूह का हिस्सा नहीं रही है. कंपनी छह सालों से ज्यादा समय से कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) से गुज़र रही है. इसके समाधान से संबंधित सभी मामले वर्तमान में एनसीएलटी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं.
रिलायंस कम्युनिकेशंस का प्रबंधन वर्तमान में एनसीएलटी/ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) की देखरेख में किया जा रहा है, जिसका नेतृत्व भारतीय स्टेट बैंकऔर बैंकों/ऋणदाताओं का एक संघ करता है. अनिल अंबानी किसी भी तरह से रिलायंस कम्युनिकेशंस से नहीं जुड़े हैं. उन्होंने छह साल पहले 2019 में ही इस्तीफा दे दिया था. कुर्की के इस आदेश से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के संचालन, प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं पर कोई अहम प्रभाव नहीं पड़ेगा. दोनों कंपनियां नॉर्मली काम कर रही हैं. वह विकास, परिचालन उत्कृष्टता और सभी हितधारकों, खासकर 50 लाख से अधिक शेयर होल्डर्स परिवार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. अनिल डी. अंबानी साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर या रिलायंस पावर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी नहीं रहे हैं.
देश-विदेशों से लोन लिया और अब तक नहीं चुकाया
बता दें कि ED जांच में सामने आया कि साल 2010 से 2012 के बीच RCOM ग्रुप ने देश और विदेश के बैंकों से 40,185 करोड़ रुपये के लोन लिए और इनमें से कई लोन अब तक बकाया हैं. 9 बैंकों ने इन खातों को ‘फ्रॉड' घोषित कर दिया है. ED के अनुसार, लोन लेने का असली इस्तेमाल बैंक को बताए गए काम के लिए नहीं किया गया.
- 13,600 करोड़ रुपये लोन के पुनर्भुगतान में लगाए गए.
- 12,600 करोड़ रुपये ग्रुप की अन्य संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर किए गए.
- 1,800 करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाए गए, जिन्हें बाद में निकालकर ग्रुप कंपनियों में घुमाया गया.
- बिल डिस्काउंटिंग का दुरुपयोग कर बड़ी मात्रा में पैसा संबंधित कंपनियों में भेजा गया.
- कुछ रकम विदेश में भेजकर भी बाहर siphon की गई.
RCOM ने किया बैंक के नियमों और लोन की शर्तों का उल्लंघन
ED का कहना है कि यह सब बैंक के नियमों और लोन की शर्तों का सीधा उल्लंघन है. वह बड़े वित्तीय घोटालों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेगी. गैर-कानूनी तरीके से हासिल की गई संपत्ति को वापस दिलाने के लिए काम करती रहेगी. मामले की जांच अभी भी जारी है.














