कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने मल्लिकार्जुन खरगे को जेपी नड्डा के लिखे गए खत पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में बहुत जहर घुल चुका है. पीएम को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी. अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नजर में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती.
प्रिंयका ने लिखा कि कुछेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों की अनर्गल और हिंसक बयानबाज़ी के मद्देनज़र लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जीवन की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे जी ने प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा. प्रधानमंत्री जी की आस्था अगर लोकतांत्रिक मूल्यों, बराबरी के संवाद और बुज़ुर्गों के सम्मान में होती तो इस पत्र का जवाब वह ख़ुद देते. इसकी बजाय उन्होंने नड्डा जी की ओर से एक हीनतर और आक्रामक किस्म का जवाब लिखवा कर भिजवा दिया. 82 बरस के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आख़िर क्या ज़रूरत थी? लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है। धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता. आज की राजनीति में बहुत ज़हर घुल चुका है, प्रधानमंत्री जी को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी. अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नज़र में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती. यह अफ़सोस की बात है कि सरकार के ऊँचे से ऊँचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है.
बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक-दूसरे के अपमान को लेकर 'लेटर वॉर' चल रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी, तो इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा लेटर बम वापस राहुल और सोनिया गांधी की ओर उछाल दिया.जेपी नड्डा ने खरगे को एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने कहा है कि सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था और उस वक्त कांग्रेस राजनीति शुचिता की बात करना भूल गई थीं. सरकार के तीसरे टर्म के 100 दिन पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अहमदाबाद की सभा में बिना किसी का नाम लिए विपक्ष पर उन्हें लगातार अपमानित करने का आरोप लगाया था. पीएम ने कहा था कि वह इस पर चुप रहे और अपना पूरा ध्यान सरकार के 100 दिन एजेंडे को आकार देने में लगाए.