महिला आरक्षण बिल पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है. प्रियंका चतुर्वेदी ने बिल लाने की टाइमिंग पर सवाल उठाया है. उन्होंने बताया कि भाजपा ने 2014 के अपने घोषणापत्र में महिला आरक्षण बिल लाने का वादा किया था. बीजेपी को इस वादे को पूरा करने में 9 साल का लंबा वक्त लग गया.
महिला आरक्षण विधेयक के मसौदे को जल्द लागू करने के विपक्ष की मांग के बीच परिसीमन समिति के गठन के पीछे के तर्क को समझाने वाली अमित शाह की टिप्पणी पर तंज कसते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ये पाखंड के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि भाजपा के 2014 के घोषणापत्र में एक विधेयक के लिए किया गया वादा लंबे समय से अधर में था. संसद में पहली विधायी बाधा को दूर करने में इस बिल को 9 साल लग गए."
बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में भारी बहुमत से पारित हो गया है. इसके समर्थन में 454 और विपक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े. लोकसभा में विधेयक पास होने के बाद एएनआई से बात करते हुए चतुर्वेदी ने कहा, "उनका (अमित शाह का) बयान पाखंड के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि भाजपा ने 9 साल पहले 2014 के अपने घोषणापत्र में महिलाओं के लिए चुनावी प्रतिबद्धता जताई थी. महिला आरक्षण कानून सिर्फ (लोकसभा) चुनाव के लिए लाया गया है. उनके (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद (2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में) और विपक्ष के कई लोगों ने विधेयक के लिए आवाज उठाई, उन्हें इसमें 9 साल लग गए, इसे अंजाम तक पहुंचाने में. यह (विवादास्पद) खंड भी पाखंडपूर्ण था कि कानून का कार्यान्वयन जनगणना और परिसीमन के अधीन है. जनगणना में 2021 से देरी हो रही है."
इससे पहले, बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान अमित शाह ने कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद जनगणना और परिसीमन किया जाएगा और उसके बाद महिला आरक्षण कानून लागू होगा.
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