भारतीय समूह ‘वेदांता' और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ‘फॉक्सकॉन' (Foxconn project) का सेमीकंडक्टर संयंत्र गुजरात (Gujarat) में स्थापित होने की घोषणा के एक दिन बाद महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने बुधवार को दावा किया कि राज्य की पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने इस परियोजना को लेकर सहयोग नहीं किया. शिंदे ने कहा कि वह परियोजना के गुजरात चले जाने पर आरोप-प्रत्यारोप के खेल में नहीं पड़ना चाहते. उन्होंने विपक्ष को आत्मनिरीक्षण करने की भी सलाह दी. शिंदे ने कहा कि वेदांता समूह ने कहा है कि वह महाराष्ट्र में आईफोन और टीवी विनिर्माण संयंत्र स्थापित करेगा.
वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना गुजरात के हाथों गंवाने पर एमवीए के घटकों शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने शिंदे सरकार पर हमला बोला है, क्योंकि इस संयंत्र को पहले महाराष्ट्र में स्थापित करने का प्रस्ताव था. पुणे के पास तालेगांव को परियोजना लगाने के लिए चुना गया था. मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि पूर्ववर्ती एमवीए सरकार ने परियोजना को लेकर सहयोग नहीं किया और कंपनी को नहीं पता था कि सरकार बदल जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार डेढ़ महीने पहले ही सत्ता में आई है. मैं इस घटनाक्रम को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के खेल में नहीं पड़ना चाहता. हालांकि, मुझे लगता है कि विपक्ष को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.''विपक्ष की आलोचना के बीच शिंदे ने कहा, ‘‘वेदांता समूह ने कहा है कि वह महाराष्ट्र में आईफोन और टीवी विनिर्माण संयंत्र स्थापित करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में एक विशाल परियोजना स्थापित होने का आश्वासन दिया है.''इस बीच, महाराष्ट्र के पूर्व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बुधवार को कहा कि राज्य में वेदांता-फॉक्सकॉन की प्रस्तावित सेमीकंडक्टर परियोजना को एमवीए सरकार के सत्ता में आने पर अंतिम रूप दिया गया था.
देसाई ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार फॉक्सकॉन के साथ बातचीत कर रही थी, तब कर्नाटक और तेलंगाना अन्य दो प्रतिस्पर्धी राज्य थे. शिवसेना नेता देसाई ने कहा, ‘‘ (तब) गुजरात तस्वीर में कहीं नहीं था. हमारी सरकार ने कई बार कंपनी के साथ बातचीत की और यहां तक कि तालेगांव में एमआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र को भी अंतिम रूप दिया गया. हम जमीन, पानी और बिजली को लेकर भी समझौते पर पहुंचे थे.'' देसाई ने कहा, ‘‘(परियोजना के लिए) महाराष्ट्र के चयन को लेकर लगभग अंतिम रूप देने के बाद वेदांता के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच के दौरान हमें बताया कि अब केवल केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत है.'' उन्होंने कहा, ‘‘इस बिंदु पर हमें संदेह होने लगा.'' वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को आरोप लगाया कि परियोजना का गुजरात में जाना महाराष्ट्र के महत्व को कम करने की ‘‘साजिश'' का हिस्सा है.
उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार लगातार महाराष्ट्र को ‘‘कमतर'' दिखाने के कदम उठा रही है. बारामती से लोकसभा सदस्य सुले ने कहा कि वह इस विशाल परियोजना के गुजरात को मिलने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह तब हुआ जब इसके लिए महाराष्ट्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. उन्होंने पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह महाराष्ट्र के महत्व को कम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है क्योंकि यह देश का एकमात्र राज्य है, जो एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं ये आरोप सोच-समझकर कर लगा रही हूं. केंद्र सरकार लगातार महाराष्ट्र को कमतर दिखाने के कदम उठा रही है. यह महाराष्ट्र के लिए एक दीर्घकालिक झटका होगा.''