प्रेसिडेंशियल रेफरेंस, न्‍यायिक भर्ती... सीजेआई बीआर गवई के ये हैं 5 बड़े फैसले

सीजेआई जस्टिस बीआर गवई के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय रहे हैं, जिन्‍होंने न सिर्फ खूब सुर्खियां बटोंरी बल्कि यह कानून की दुनिया में बेहद महत्‍वपूर्ण माने जा रहे हैं. फिर वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंसियल रेफरेंस का मामला हो या फिर पोस्‍ट फैक्‍टो को वापस लेने का मामला.

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  • CJI बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. शुक्रवार को उनका अंतिम कार्य दिवस था.
  • गवई के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय रहे, जिन्‍होंने खूब सुर्खियां और यह बेहद अहम भी माने जा रहे हैं.
  • इसमें राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंशियल रेफरेंस का मामले से न्‍यायिक भर्ती तक कई मामले शामिल हैं.
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नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो जाएंगे. हालांकि आज उनका अंतिम कार्य दिवस था. उनके बाद अब यह पद जस्टिस सूर्य कांत संभालेंगे. सीजेआई जस्टिस बीआर गवई के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय रहे हैं, जिन्‍होंने न सिर्फ खूब सुर्खियां बटोंरी बल्कि यह कानून की दुनिया में बेहद महत्‍वपूर्ण माने जा रहे हैं. फिर वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंसियल रेफरेंस का मामला हो या फिर पोस्‍ट फैक्‍टो को वापस लेने का मामला. आइए जानते हैं सीजेआई बीआर गवई के वो पांच बड़े फैसले, जो उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए. 

  1. राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास लंबित विधेयक पर फैसला लेने के समयसीमा में बांधने के मसले पर राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंसियल रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने हाल ही में अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल की ओर से विधेयक की मंजूरी के लिए टाइमलाइन तो तय नहीं की जा सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास विधेयक को लेकर तीन ही विकल्प हैं. विधेयक को मंजूरी देना, राष्ट्रपति के पास भेजना या विधानसभा को वापस भेजना. साथ ही अदालत ने कहा कि राज्यपाल अनंतकाल तक बिल रोककर नहीं बैठ सकते हैं.
  2. गवई की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने नवंबर 2025 में 16 मई के उस आदेश को वापस लिया जिसमें पोस्ट-फैक्टो यानी बाद में पर्यावरण मंजूरी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया गया था. वनशक्ति बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भविष्य में पोस्ट-फैक्टो (बाद में दी गई) पर्यावरण मंजूरी देने से रोका था. पुनर्विचार /रिकॉल याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पीठ ने सुनवाई की. CJI गवई ने कहा कि वनशक्ति के फैसले  में पहले के महत्वपूर्ण निर्णयों को नजरअंदाज कर दिया गया, जिनमें- 2020 में दो न्यायाधीश पीठ ने पोस्ट-फैक्टो EC को सामान्यतः अवैध कहा था, लेकिन मौजूदा मामलों को जुर्माना लेकर नियमित भी किया. वहीं डी स्वामी बनाम KSPCB मामले में  कहा गया कि विशेष परिस्थितियों में पोस्ट-फैक्टो EC दी जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सभी पोस्ट-फैक्टो EC अमान्य कर दी जाएं, तो बड़ी संख्या में निर्माणों को तोड़ने का विकल्प ही बचेगा, जिससे प्रदूषण घटेगा नहीं, बल्कि बढ़ेगा.
  3. सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दौरान ग्रीन पटाखों को जलाने की मंजूरी दी. अदालत ने 18 से 21 अक्टूबर के बीच ग्रीन पटाखों को सशर्त मंजूरी देते हुए कहा कि पूरी तरह पाबंदी लगाई जाती है तो प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की तस्करी की आशंका पैदा होती है, जो ग्रीन क्रैकर्स के मुकाबले ज्यादा नुकसानदेह साबित होगा. पटाखों के इस्तेमाल के लिए समय दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली वाले दिन पटाखों का इस्तेमाल केवल सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और रात 8 बजे से 10 बजे तक ही किया जा सकता है. ग्रीन पटाखों की ऑनलाइन सेल नहीं होगी. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, ग्रीन पटाखों को अदालत स्वीकृति देती है, क्योंकि हमें संतुलित रुख दिखाने की जरूरत है. इससे पहले ग्रीन क्रैकर्स समेत सभी तरह के पटाखों की दिल्ली के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बिक्री और उन्हें जलाने पर रोक थी.
  4. न्यायिक भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते सिविल जजों की भर्ती के लिए तीन साल की प्रैक्टिस का नियम बहाल कर दिया. वहीं लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती का नियम रद्द कर दिया है.  सुप्रीम कोर्ट ने यह शर्त बहाल कर दी है कि न्यायिक सेवा में प्रवेश स्तर के पदों के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार के लिए वकील के रूप में न्यूनतम तीन साल का अभ्यास आवश्यक है. अभ्यास की अवधि प्रोविजनल नामांकन की तारीख से मानी जा सकती है. हालांकि, उक्त शर्त आज से पहले उच्च न्यायालयों द्वारा शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया पर लागू नहीं होगी. यह शर्त केवल भविष्य की भर्तियों पर लागू होगी. CJI बी आर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद के चंद्रन की बेंच ने अहम फैसला दिया. इसके अलावा अपने एक अन्‍य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार स्टाफ की भर्तियों मे अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के लिए आरक्षण दिए जाने की बात कही है. यह कर्मचारियों की भर्ती में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा शुरू करने के हालिया फैसले के बाद किया गया है. कोर्ट के इस फैसले के तहत अब दिव्यांगों, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को भी आरक्षण दिया जाएगा. 
  5. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार कर लिया है तथा विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले इसके क्षेत्रों में नए खनन पट्टे देने पर रोक लगा दी है. सीजेआई बीआर गवई ने गुरुवार को अपने अंतिम फैसले में अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की सुरक्षा के लिए अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परिभाषा पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. यह फैसला राजस्थान के खनन क्षेत्रों के लिए दूरगामी असर डाल सकता है. साथ ही यह निर्णय न केवल राजस्थान बल्कि हरियाणा, गुजरात और दिल्ली जैसे अरावली राज्यों में भी पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन तय करने के लिए मिसाल बनेगा.
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