राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि योग विश्व समुदाय को दिया गया भारत का अमूल्य उपहार है और योग का निरंतर अभ्यास ‘कैवल्य' प्राप्त करने में सहायक है. उन्होंने कहा कि योग का लाभ बच्चों और युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित योग विद्या को शिक्षण व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. राष्ट्रपति मुर्मू ने पुणे जिले के लोनावाला में 'स्कूल शिक्षा प्रणाली में योग का एकीकरण- विचार प्रकट करना' विषयवस्तु पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम का आयोजन कैवल्यधाम संस्थान ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह के तहत किया.
उन्होंने कहा कि योग विश्व समुदाय को दिया गया भारत का अमूल्य उपहार है तथा 2015 से हर वर्ष विश्व के ज्यादातर देशों में योग दिवस मनाया जाने लगा है. उन्होंने रेखांकित किया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया था कि योग पद्धति स्वास्थ्य व कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है और पूरे विश्व समुदाय के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. उन्होंने कहा कि योग व्यक्ति के समग्र विकास का मार्ग है तथा इसे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक प्रगति का एक प्रभावी साधन माना जाता है.
मुर्मू ने कहा, ‘‘व्यापक शोध और परीक्षण के बाद, हमारे प्राचीन ऋषियों ने यह स्थापित किया कि योग का निरंतर अभ्यास कैवल्य प्राप्त करने में सहायक है.'' उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में स्वामी कुवलयानंद जैसे महान व्यक्तित्वों ने योग प्रणाली के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उपयोगिता को प्रचारित किया. उन्होंने कहा, ‘‘स्वामी कुवलयानंद जी विद्यालयों में योग शिक्षा के प्रसार को काफी महत्व देते थे.'' उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कैवल्यधाम संस्थान द्वारा संचालित कैवल्य विद्या निकेतन अन्य विद्यालयों को उदाहरण और प्रेरणा प्रदान करेगा. मुर्मू महाराष्ट्र के चार दिवसीय दौरे पर हैं.
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