आज कल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) बिहार के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं और वो जिले में तीन से चार दिन अलग-अलग कार्यक्रमों में वहीं रहकर भाग लेते हैं. उनके इस अभियान का पहला पड़ाव वैशाली ज़िला था, जहां वो लगातार पांच दिन रहे. इस दौरान अपने सम्पर्क कार्यक्रम में वो बेबाक अंदाज़ में लोगों के सामने अपनी राय रखते हैं. उन्होंने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के शराबबंदी से लेकर उनके कार्यकाल के बारे में लोगों को बताया.
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर तंज करते हुए कहा कि गद्दी पर बैठने के बाद नेता जनता से कट जाते हैं. उन्होंने पुराने जमाने का जिक्र किया जब राजा वेष बदलकर अपनी प्रजा के बीच जाते थे, तभी उन्हें जमीन पर सही स्थिति का पता चलता था. वैसे ही आज जो उच्च पदों पर पहुंच गए हैं उन्हें भी जनता के बीच जाकर हकीकत का पता लगाना चाहिए.
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नीतीश सरकार की शराबबंदी पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां एक पीके (प्रशांत किशोर) खड़ा है, लेकिन पूरा बिहार अभी पीके (शराब पीकर) मस्त है और राजा (नीतीश कुमार) को पता ही नहीं है. समझ सकते हैं कि आप कितने बड़े नींद में होंगे. उन्होंने कहा कि राजा को सब बस यही बताते हैं कि सब बढ़िया है, सब अच्छा है, जनता खुश है. लेकिन जब जनता चुनाव में हराती है तब नींद खुलती है कि सच में तो सब उल्टा हो रहा था.
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार व्यक्ति के तौर पर वही हैं जो 2005 में थे. तब से अब तक वही मुख्यमंत्री हैं. लेकिन उनके कार्यकाल को आप दो भागों में बांट सकते हैं. पहला 5-7 साल और दूसरा 5-7 साल. पहले भाग में अच्छा काम हुआ. वजह थी कि तब बीजेपी और जेडीयू का एजेंडा साफ था कि विकास करना है. इसीलिए 2010 में 200 से ज्यादा सीटें मिली थी. लेकिन यही आंकड़ा दोनों पार्टियों में घमंड का कारण बन गया. तभी से दूसरे भाग के 7 साल सत्ता बची रहे, बस इस पर ध्यान रहा और विकास पीछे छूट गया.
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ऐसा क्या हुआ कि प्रशांत किशोर कांग्रेस का नाम सुनकर ही हाथ जोड़ रहे?