मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर अदालत में हुईं पेश, जमानती वारंट रद्द किया गया

प्रज्ञा सिंह ठाकुर और छह अन्य इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं.

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प्रज्ञा सिंह ठाकुर सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं.
मुंबई:

विशेष अदालत ने भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की शुक्रवार को पेशी के बाद उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट रद्द कर दिया. अदालत ने बार-बार चेतावनी के बावजूद पेश होने में विफल रहने पर 11 मार्च को ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था. ठाकुर सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं.

विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने 11 मार्च को ठाकुर को 20 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था. हालांकि ठाकुर निजी अस्पताल में भर्ती होने का दावा करते हुए पेश नहीं हुईं थीं. अदालत ने 20 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिलने तक वारंट की तामील पर रोक लगा दी. ठाकुर शुक्रवार को विशेष अदालत में पेश हुईं और अपने वकील के माध्यम से जमानती वारंट रद्द करने के लिए अर्जी दाखिल की. अदालत ने उनके चिकित्सकीय कागजात पर गौर करते हुए वारंट रद्द कर दिया।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपनी अर्जी में दावा किया कि वह बैठने, चलने और हस्ताक्षर करने में भी असमर्थ हैं. अदालत ने कहा कि उसे उनके दावों में दम नजर आता है क्योंकि वह किसी की मदद से अदालत में पेश हुईं हैं.

अदालत ने ठाकुर को उनके खिलाफ मुकदमे में अपना अंतिम बयान दर्ज कराने के लिए 28 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया. ठाकुर और छह अन्य इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है. महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए. शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते ने मामले की जांच की थी। 2011 में मामला एनआईए को सौंप दिया गया.

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