777 करोड़ में बनी प्रगति मैदान की टनल 18 महीने में हुई बदहाल, PWD और कंस्ट्रक्शन कंपनी आमने-सामने

पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 जून, 2022 को प्रगति मैदान इंटीग्रेटिड ट्रांजिट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत 1.3 किमी लंबी इस टनल और 5 अंडरपास का उद्घाटन किया था. इस टनल को बनाने में 777 करोड़ की लागत आई थी.

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L&T कंपनी को साल 2017 में टनल का प्रोजेक्ट दिया गया था.
नई दिल्ली:

दिल्ली के प्रगति मैदान मेन टनल (Pragati Maidan Tunnel)का 18 महीने पहले उद्घाटन हुआ था. लेकिन अब इसके डिजाइन समेत कई तकनीकी खामियां सामने आई हैं. प्रगति मैदान टनल में लगातार पानी के रिसाव हो रहा है. टनल के फाउंडेशन में दरारें देखी गई हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार (Delhi Government)के पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (PWD) ने लार्सन एंड टूब्रो (L&T) कंपनी को नोटिस भेजकर प्रगति मैदान टनल की मरम्मत का काम शुरू करने का आदेश दिया है. PWD ने इसके साथ ही कंपनी पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इस टनल को बनाने में 777 करोड़ की लागत आई थी.

PWD ने 3 फरवरी को भेजे गए नोटिस में कंपनी को बताया था कि टनल में कई जगहों पर दीवरों से लगातार पानी लीक हो रहा है. टनल और अंडरपास में कई जगहों पर बड़ी दरारें भी हैं. टनल के अंदर ड्रेनेज सिस्टम में भी कई खामियां हैं, जिनकी वजह से टनल में पानी भरने की समस्या होती है. PWD ने L&T कंपनी से 15 दिन में जवाब मांगा है. वहीं, L&T कंपनी ने भी इतनी ही रकम का दावा किया है. कंपनी ने कहा है कि उसने PWD पर 500 करोड़ रुपये का क्लेम किया है.

मरम्मत से परे है प्रगति मैदान टनल
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' ने दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि प्रगति मैदान टनल मरम्मत से परे है. इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह संरचना अब यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं है. पूरे सुधार के बिना इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती है.

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L&T कंपनी ने 500 करोड़ रुपये का किया दावा
L&T कंपनी के प्रवक्ता ने प्रगति मैदान टनल में पानी के लीक और दरारों के बारे में कहा, "PWD हमारा सम्मानित कस्टमर है. हमने वर्षों तक उनके साथ खुशी-खुशी काम किया है. L&T आपको सूचित करना चाहती है कि कंपनी ने आपके खिलाफ 500 करोड़ रुपये का दावा दायर किया है."

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पीएम मोदी ने 19 जून 2022 को किया था उद्घाटन
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 जून, 2022 को प्रगति मैदान इंटीग्रेटिड ट्रांजिट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत 1.3 किमी लंबी इस टनल और 5 अंडरपास का उद्घाटन किया था. इसके बाद बरसात का मौसम आते ही टनल में पानी भरने की वजह से कई मौकों पर इसे बंद रखना पड़ा. ये टनल 777 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुई थी.

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4 साल 7 महीनों में पूरा हुआ था प्रोजेक्ट
PWD की नोटिस में कहा गया कि L&T कंपनी को साल 2017 में टनल का प्रोजेक्ट दिया गया था. कंपनी ने 4 साल 7 महीनों में प्रगति मैदान टनल और अंडरपास बनाया. इसके बाद अलग-अलग समय पर PWD ने कंपनी के अधिकारियों के साथ टनल की खामियों को जानने के लिए तीन बार हाई लेवल इंस्पेक्शन किया. लेकिन कंपनी ने खामियों को दुरुस्त नहीं किया. जिसके बाद  PWD ने नोटिस भेजा है.

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टनल की दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है. इससे टनल में जलजमाव रहता है. सड़क के बीच से पानी की धारा आती रहती है. इससे टनल की दीवारों पर दरारें बन रही हैं. जगह-जगह से हो रहे रिसाव को देखते हुए इस टनल का इस्तेमाल करना किसी खतरे से कम नहीं है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अर्बन प्लानिंग एक्सपर्ट अर्चित सिंह ने कहा, "ऐसा लगता है कि वॉटरप्रूफिंग का मुद्दा है. लगता है कि सॉयल टेस्टिंग अच्छे से नहीं हुई. सबसे पहले इस टनल का इस्तेमाल बंद करना चाहिए. सरकार को जियोलॉजिकल एक्सपर्ट, आर्किटेक्ट, टनल इंजीनियरों और स्ट्रक्चरल इंजीनियरों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम बनानी चाहिए. इस टीम को टनल में हो रहे लीकेज और दरारों के कारणों का पता लगाना चाहिए. साथ ही ये भी देखना चाहिए कि क्या टनल की मरम्मत की जा सकती है और ये कैसे हो सकता है."

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