प्रफुल्ल पटेल भाग्यशाली थे जो चुनाव का सामना किए बिना पर्चा भरकर सांसद बन गए : शरद पवार

शरद पवार ने कहा कि प्रफुल्ल पटेल के पास कोई भी रुख अपनाने का अधिकार है. उन्होंने कहा, “अगर उन्हें कोई सुझाव देना है, तो हम सिर्फ सुनेंगे और उसे छोड़ देंगे.”

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शरद पवार ने कहा कि नौ विधायकों की अयोग्यता पर राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल फैसला लेंगे. 
सतारा:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को प्रफुल्ल पटेल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह (पटेल) भाग्यशाली थे, जो किसी चुनाव का सामना किए बगैर महज पर्चा भरकर सांसद निर्वाचित हो जाते थे. पटेल को राकांपा से बगावत करने वाले अजित पवार का साथ देने के कारण सोमवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. उनके साथ-साथ सांसद सुनील तटकरे को भी पार्टी अध्यक्ष के दिशा-निर्देशों का ‘उल्लंघन' करने और ‘गलत रास्ते' पर चलने के आरोप में राकांपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. पटेल राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष और तटकरे महासचिव पद पर काबिज थे. 

पटेल और तटकरे के निष्कासन के फैसले की घोषणा से पहले सतारा में एक संवाददाता सम्मेलन में पवार ने कहा, “हमारे सभी विधायकों और सांसदों (बगावत करने वाले कुछ नेताओं की तरफ भी इशारा करते हुए) ने निर्वाचित होने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की है. वे लोगों के बीच जाते हैं और काम करते हैं, लेकिन प्रफुल्ल (पटेल) एक भाग्यशाली सहयोगी हैं, जो सिर्फ पर्चा भरकर सांसद बन जाते हैं.”

राकांपा प्रमुख ने कहा, “इन लोगों (विधायकों) को उन्हें (पटेल) चुनने के लिए जाकर वोट डालने की जरूरत नहीं है. वह निर्विरोध निर्वाचित हो जाते हैं और चुनाव संबंधी कोई खर्च भी नहीं होता.”

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पवार ने कहा कि पटेल ‘खुशकिस्मत' हैं, क्योंकि उन्हें आसानी से सांसद बनने का मौका मिल जाता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या पटेल ने उनसे मिलने की इच्छा जताई है, लेकिन वह अपने रुख पर अडिग हैं, पवार ने कहा कि पटेल के पास कोई भी रुख अपनाने का अधिकार है. उन्होंने कहा, “अगर उन्हें कोई सुझाव देना है, तो हम सिर्फ सुनेंगे और उसे छोड़ देंगे.”

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पवार ने जोर देकर कहा कि वह राकांपा में अंतिम प्राधिकारी हैं और उन्होंने पटेल के लिए कुछ जिम्मेदारियां तय की हैं.

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राकांपा प्रमुख ने कहा, “अगर वह (पटेल) पार्टी रुख का उल्लंघन कर उन जिम्मेदारियों के विपरीत कुछ करते हैं, तो उन्हें उस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.”

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यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें यह देखकर दुख हुआ है कि उनके द्वारा तैयार किए गए नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं, पवार ने ‘न' में जवाब दिया.

उन्होंने कहा, “बिल्कुल नहीं. मेरा अनुभव बताता है कि जब भी ऐसे हालात पनपते हैं, तब अंतिम निर्णय चुनाव में आम मतदाता ही करते हैं. मुझे उन पर भरोसा है.”

पवार ने कहा कि वह राकांपा के युवा कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करना चाहते हैं कि पार्टी के ताजा घटनाक्रम से निराश न हों. 

उन्होंने कहा, “पुणे से सतारा तक अपनी यात्रा के दौरान, मैंने बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं, खासकर युवाओं को मेरा इंतजार करते और समर्थन देते देखा.”

अजित पवार की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि “अगर राकांपा शिवसेना के साथ जा सकती है, तो वह भाजपा के साथ भी जा सकती है”, शरद पवार ने कहा कि राजनीति में इस तरह के घटनाक्रम अप्रत्याशित नहीं हैं.

राकांपा प्रमुख ने कहा, “आपातकाल के बाद देश में एकमात्र व्यक्ति जिसने आपातकाल का समर्थन किया, वह बालासाहेब ठाकरे थे. इसके बाद हुए चुनावों में शिवसेना ने कांग्रेस के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा.”

उन्होंने कहा, “कल शपथ लेने वाले नेता भी पूर्ववर्ती एमवीए (महा विकास आघाडी) सरकार का हिस्सा थे, लेकिन उस समय (जब उन्होंने 2019 में शपथ ली थी) वे चिंतित नहीं दिखे, इसलिए वे जो कह रहे हैं, उसे कोई महत्व देने की जरूरत नहीं है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच ने कुछ राकांपा नेताओं को भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, पवार ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

राकांपा प्रमुख ने कहा, “मैंने केवल वही सुना, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में राकांपा में भ्रष्टाचार के बारे में कहा था. मोदी ने राकांपा के बारे में बात करते हुए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (घोटाले) और कथित सिंचाई घोटाले का जिक्र किया था.”

पवार ने कहा, “लेकिन उन्होंने (मोदी ने) हमारे प्रमुख नेताओं को शपथ लेने से नहीं रोका. इससे पता चलता है कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यहीन थे. संक्षेप में कहें, तो देश के नेतृत्व ने उन्हें (राकांपा नेताओं को) निर्दोष घोषित कर दिया है.”

पवार ने याद किया कि कैसे 1980 के दशक में विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया था, लेकिन उन्होंने लोगों के सहयोग से संगठन का पुनर्निर्माण किया.

राकांपा सांसद अमोल कोल्हे के ट्वीट से जुड़े सवाल पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि अजित पवार भी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं हैं. 

एक दिन पहले कोल्हे को मुंबई में राज भवन में अजित पवार के साथ देखा गया था, लेकिन सोमवार को उन्होंने शरद पवार के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई थी. 

राकांपा प्रमुख ने कहा, “मेरी बेटी (सुप्रिया सुले) भी तीन बार वहां (अजित पवार द्वारा रविवार को बुलाई गई बैठक में) गई थी. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.”

उन्होंने कहा कि शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हुए नौ विधायकों की अयोग्यता पर फैसला राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल लेंगे. 

पवार ने कहा, “पाटिल के फैसले का समर्थन किया जाएगा.”

उन्होंने दावा किया कि रविवार के घटनाक्रम के मद्देनजर कई विधायकों ने उन्हें फोन किया. 

पवार ने कहा, “ये विधायक सही समय आने पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे.”

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के मुंबई में देवेंद्र फडणवीस के बंगले पर दोनों उपमुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार) के साथ बैठक करने की खबरें हैं. 

इस बैठक के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद एक संस्था है, जो नियमों, विनियमों और प्रोटोकॉल से बंधी होती है. 

उन्होंने कहा, “इस पद को संभालने वाले व्यक्ति को उस संस्था की गरिमा सुनिश्चित करनी चाहिए.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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