टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने शनिवार को कहा कि चुनाव के बाद उनकी पार्टी ऐसी किसी सरकार का हिस्सा नहीं होगी, जो एक अलग राज्य संबंधी उसकी मांग से सहमत नहीं होगी. त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के वंशज, देबबर्मा ने कहा, ‘‘अगर त्रिशंकु विधानसभा होती है तो हम विचार (बाहर से सरकार को समर्थन देने के बारे में)करेंगे... लेकिन हम अपने मुख्य उद्देश्य पर कायम रहेंगे.''
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चुनाव के बाद हम उस किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं होंगे, जो अलग राज्य संबंधी हमारी मांग से सहमत नहीं होगी.'' वर्ष 1947 में इसका (त्रिपुरा रियासत का) भारत में विलय किये जाने से पहले, उनके परिवार ने कई सदियों तक इस छोटे से क्षेत्र पर शासन किया था. उनके माता-पिता - किरीट बिक्रम किशोर माणिक्य देब बर्मन बहादुर और बिभु देवी- दोनों कांग्रेस सांसद रहे थे.
आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य की मांग ने एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले जोर पकड़ लिया है. हालांकि, प्रद्योत देबबर्मा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह एक आदिवासी राज्य की मांग कर रहे हैं और वह सांप्रदायिक सौहार्द के पक्ष में हैं. शनिवार की अपनी रैली में बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के बीच उन्होंने कहा, ‘‘वे (भाजपा) चाहते हैं कि टिपरा और बंगाली लड़ें, वे विकास की, प्रगति की बात नहीं करना चाहते। हम चाहते हैं कि सभी का विकास हो.''
देबबर्मा ने सभी समुदायों को साधने के अलावा भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “आज प्रधानमंत्री आमबासा (धलाई जिले में एक आदिवासी क्षेत्र) आएंगे और कहेंगे कि त्रिपुरा में भाजपा शासन के तहत खूब विकास हुआ है। हुआ है ना।?”
देबवर्मा ने कहा, ‘‘नहीं, मेरे गरीब लोगों का विकास नहीं हुआ है.' उन्होंने कहा, ‘‘यह उनकी (नरेंद्र मोदी की) गलती नहीं है. उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई है.'' उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मोदी जी, … आपके पास 56 इंच का सीना है. हमारे पास टिपरासा का प्यार है.'' उल्लेखनीय है कि टिपरा मोथा ने माकपा-कांग्रेस गठबंधन से खुद को दूर कर लिया है और इसके साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार कर दिया है.
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