कोरोना की दूसरी लहर में बच्‍चे भी हो रहे पोस्‍ट कोविड परेशानियों के शिकार

डॉक्टर बताते हैं कि उनके पास पहुंच रहे कोविड के लक्षण वाले बच्चों में 70% से ज़्यादा बच्चे पोस्ट कोविड की तकलीफ़ लेकर आते हैं.

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कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्‍या में बच्‍चे भी डॉक्‍टरों के पास पहुंच रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

जिस तरह वयस्‍कों में पोस्ट कोविड की तकलीफ़ दिखती हैं, ठीक वैसे ही कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ी है जो पोस्ट कोविड की समस्या से जूझ रहे हैं. इनमें से ज़्यादातर का कभी टेस्ट नहीं हुआ क्‍योंकि कोविड के लक्षण या तो बेहद कम थे या नहीं थे लेकिन क़रीब एक महीने बाद पोस्ट कोविड गंभीर रूप ले रहा है. पोस्ट कोविड की तकलीफ़ वाले बच्चे अस्पताल ज़्यादा पहुंच रहे हैं, जिनकी एंटी बॉडी पॉज़िटिव हैं. दो साल का अमन अब अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहा है, वह हाई फ़ीवर, सांस में तकलीफ़ और खांसी की शिकायत के साथ डॉक्टर के पास पहुंचा था. एंटीबॉडी पॉज़िटिव था, कोविड कब हुआ यह पता नहीं लेकिन लक्षण के दूसरे दिन ही डॉ. इरफ़ान अली के पास पहुंचा. अब पांच दिन के इलाज के बाद इसे अस्पताल से छुट्टी मिल रही है...

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मुंबई के पीडिएट्रिक इंटेंसिविस्ट डॉ इरफ़ान अली कहते हैं, 'बच्चे का एंटीबॉडी टेस्ट high titer में पॉज़िटिव आया. ब्लड टेस्ट में hb काफ़ी लो था,इसलिए ब्लड भी चढ़ाना पड़ा. हीमोग्‍लोबिन लो होता है तो सांस में तकलीफ़ होती है. बच्‍चे को सांस में ज़्यादा दिक़्क़त थी, उसे स्टेरॉइड देना पड़ा. अब 5 दिन में फ़ीवर पूरी तरह से चला गया है. अभी बच्चा बिल्कुल सिम्प्टम फ़्री है और अब हम उसको डिस्चार्ज कर रहे हैं.' डॉक्टर बताते हैं कि उनके पास पहुंच रहे कोविड के लक्षण वाले बच्चों में 70% से ज़्यादा बच्चे पोस्ट कोविड की तकलीफ़ लेकर आते हैं, इनकी एंटी बॉडी पॉज़िटिव होती है. यानी कोविड बिना या कम लक्षण के साथ इन्हें संक्रमित कर निकल जाता है और क़रीब 20 दिन से एक महीने बाद बच्चों में बढ़ी तकलीफ़ साफ़ दिखती है.

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डॉ इरफ़ान अली के अनुसार, पोस्ट कोविड वाले बच्चे इसलिए डॉक्टर के पास विज़िट कर रहे हैं क्‍योंकि उनमें सिम्प्टम हैं. जिन बच्चों को एक से डेढ़ महीने पहले कोविड हुआ होगा, वे ही पोस्ट कोविड के लिए आते हैं. जब इंफ़ेक्ट होते हैं तब एसिम्प्टमैटिक होते हैं, इसलिए उनका टेस्टिंग नहीं होता. सस्पेक्ट की जब टेस्टिंग करते हैं तो 70-80% पॉज़िटिव हैं. दरअसल इन्फ़ेक्शन के बाद एंटीबॉडी बनती है लेकिन इसी एंटीबॉडी के ख़िलाफ़ हमारी बॉडी का इम्यून रेस्पॉन्स दिखता है जिसके कारण ये दिक़्क़तें होती हैं.इन्फ़ेक्शन अगर बच्चा जल्दी इलाज के लिए आए तो रिकवरी रेट अच्छी होती है. मल्टीसिस्टम इन्फ़्लैमटॉरी सिंड्रोम, लम्बा बुख़ार और साँस की दिक़्क़त जैसी तकलीफ़ें बच्चों में कोविड संक्रमण के बाद दिख रही है

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फ़ोर्टिस हीरानंदानी के सीनियर इंटेंसिविस्ट, पीडियाट्रीशिन डॉ कुमार साल्वी कहते हैं, 'पोस्ट कोविड सिंड्रोम, सामान्‍यत: 3 से 6 हफ़्ते बाद ये पोस्ट कोविड सिम्प्टम बच्चों में आता है, इनमें हाईग्रेड फ़ीवर, आँखों में लाली, स्किन पर रैश आना, पेट में तेज दर्द होना, चक्कर और साँस में तकलीफ़  जैसे लक्षण दिखते हैं.कभी-कभी हार्ट रेट भी तेज रहता है.' वे कहते हैं कि पिछले साल हमने इतने बच्चे पोस्ट कोविड के नहीं देखे थे लेकिन बीते 2 महीनों से इसके मरीज़ बच्चों में काफ़ी बढ़े हैं.'' वैसे, बच्चा किसी संक्रमित के संपर्क में अगर आया हो,तो लक्षण चौथे-पांचवें दिन से क़रीब 14 दिनों तक दिख सकते हैं, हल्के भी दिखें तो सतर्क हों और जांच करवाएं नहीं तो 4-6 हफ़्तों बाद बच्चे में पोस्ट कोविड की तकलीफ़ बड़ा रूप ले सकती है.

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