MP में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था : एंबुलेंस का रास्ते में ही खत्म हुआ डीजल, टॉर्च की रोशनी में करानी पड़ी डिलीवरी

बनौली गांव की रहने वाली रेश्मा को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने 108 एंबुलेंस इमरजेंसी सुविधा के लिए फोन किया. एंबुलेंस गांव पहुंची और महिला को लेकर शाहनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हुई.

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महिला का बीच सड़क पर कराई गई डिलीवरी
नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बदहाल है इसकी बानगी शनिवार को उस वक्त देखने को मिली जब एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के बीच में अस्पताल ले जाते हुए एंबुलेंस का डीजल रास्ते में ही खत्म हो गया. मजबूरन, पीड़ित परिवार को महिला की डिलीवरी बीच रास्ते में ही करानी पड़ी. मामला मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के शाहनगर क्षेत्र के बनौली का बताया जा राह है. मिल रही जानकारी के अनुसार ये घटना शुक्रवार शाम कि है. बनौली गांव की रहने वाली रेश्मा को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने 108 एंबुलेंस इमरजेंसी सुविधा के लिए फोन किया. एंबुलेंस गांव पहुंची और महिला को लेकर शाहनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हुई. लेकिन एंबुलेंस इससे पहले की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचती उससे पहले ही रास्ते में उसका डीजल खत्म हो गया. जिस जगह एंबुलेंस का डीजल खत्म हुआ वो एक सुनसान सड़क थी.

लिहाजा, किसी और से मदद मांग पाना भी संभव नहीं था. ऐसे में रेश्मा का दर्द बढ़ता देख परिजनों ने बीच सड़क पर ही रेश्मा की डिलीवरी कराने का फैसला किया. रेश्मा ने टार्च की रोशनी में अपने बच्चे को जन्म दिया. राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली सरकार के तमाम दावों की पोल खोलती है. 

बता दें कि मध्यप्रदेश में लचर और लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था को दर्शाती यह कोई पहली घटना नही है. इससे पहले कुछ महीने पहले ही दबोह इलाके में ऐसा ही मामला सामने आया था. यहां एक बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब हो गया. बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने के लिए उनके परिजन 108 एम्बुलेंस (Ambulance) को फोन लगाते रहे लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरी में बुजुर्ग के बेटे हरि सिंह ने एक ठेला लिया और उस पर अपने पिता को लिटाकर 5 किलोमीटर तक ठेले को धकेलकर अस्पताल पहुंचा खा. वहां पहुंचने पर उसके पिता का उपचार हो सका था. 

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यह मामला मारपुरा गांव का बताया जा रहा था. मारपुरा गांव निवासी हरिकृष्ण विश्वकर्मा की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. उसके पास इतने पैसे भी नहीं कि खुद का मोबाइल फोन खरीद सके. उसने पिता की तबीयत खराब हो जाने पर पड़ोसी का फोन लेकर एम्बुलेंस को फोन लगाया था लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची थी.

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परेशान हरिकृष्ण विश्वकर्मा हाथ ठेले पर पिता को लिटाकर अस्पताल लेकर पहुंचा था. इस मामले में लहार बीएमओ धर्मेंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि अपने वरिष्ठ अधिकारी को अवगत कराकर कड़ी से कड़ी कार्रवाही कराएंगे. बीएमओ खुद मान रहे हैं कि यह दुखद घटना है.

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Watch : मध्य प्रदेश : 108 फोन करने के बाद भी नहीं आई Ambulance, पिता को ठेले पर 5 किमी दूर पहुंचाया अस्पताल

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