गरीबी और मजबूरी की हदें पार करने वाली ये तस्वीरें झकझोरती हैं. महाराष्ट्र के लातूर में एक गरीब किसान दंपत्ति, बैल की जगह खुद अपने हाथों से खेत जोतते नजर आए. गरीबी की हालत ऐसी कि ट्रैक्टर तो छोड़िए बैल का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे हैं.
महाराष्ट्र की सरकार किसानों के मुद्दे पर घिरी है, राज्य में इस साल सिर्फ तीन महीने में 767 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. महाराष्ट्र के लातूर जिले से आया एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक बुजुर्ग दंपत्ति हाथों से हल चलाकर खेत जोत रहे हैं. पति बैल बना हल खींच रहा है तो पत्नी हाथ से हल पकड़कर खेत जोत रही है. किसान बदहाली की ये कहानी आंखें नम करती हैं. मामले की गूंज विधानसभा तक पहुंची.
75 वर्षीय पति अंबादास पवार हल खींचते हुए आगे चल रहे हैं और उनकी पत्नी मुक्ताबाई पीछे से हाथों से खेत जोत रही हैं. 2 सालों से ये बुजुर्ग दंपत्ति इसी तरह खुद से अपनी पांच एकड़ की जमीन पर हल चलाकर खेतों में बुआई कर रहे हैं. ये मार्मिक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है.
किसान ने कहा कि खर्चा करने के लिए पैसा नहीं. पैसा नहीं तो खेती कैसे करें. खेती में काम आने वाला कोई समान हमारे पास नहीं. खेत में मजदूरी करने वाले कामगार भी महंगे हुए हैं. बीज और खाद भी महंगा हुआ है. फसल बर्बाद हुई है. हम नुकसान में ही रहते हैं. मजदूर या बैल का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं. इसलिए खुद ही खेत में हल चला रहे हैं. दो वर्षों में भारी बारिश के चलते फसल को नुकसान हुआ और लागत भी नहीं निकल पाई. इसके चलते कर्ज लेना पड़ा.
लातुर की इन तस्वीरों का मुद्दा मुंबई में भी गूंजा. किसानों के मुद्दे पर विधानसभा में तीखी नोकझोंक हुई. हंगामे के बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया. आक्रामक विपक्ष ने किसानों की बदहाली गिनाई, तो कृषि मंत्री ने कहा आर्थिक सहायता पहुंचायेंगे.
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि लातूर में एक किसान बैल की जगह खुद खेत जोत रहा है. किसानों की हालत खराब है. कर्जमाफी नहीं हो रही है. उल्टे बबनराव लोनीकर और कृषि मंत्री किसानों का अपमान कर रहे हैं. तीन महीने में 667 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. सरकार क्या कर रही है? किसानों को धोखा देकर आप सत्ता में आए हैं. सरकार ने शक्तिपीठ हाईवे परियोजना के लिए 20 हजार करोड़ मंजूर किए, लेकिन किसान कर्जमाफी के लिए पैसे नहीं हैं.
कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि हमने लातूर के किसान के बारे में जानकारी ली है. सरकार की ओर से उसे हर संभव मदद दी जाएगी. मैंने अधिकारियों से बात की है. हम किसान के बारे में पूरी जानकारी लेंगे और उसे हमारे विभाग की ओर से उचित मदद मुहैया कराएंगे. हम उसकी समस्या समझेंगे.
- इस साल जनवरी से मार्च तक राज्य में 767 किसानों ने आत्महत्या की है
- इनमें से सिर्फ 327 परिवारों को मदद मिल पायी है
- बाकी मामलों में जांच या फाइलें अटकी हैं
- ये जानकारी सत्ता पक्ष ने खुद असेंबली में दी है
राजनीतिक विश्लेषक रवि किरण देशमुख ने बताया कि किसानों को लेकर कई परियोजनाएं हैं जो किसानों को खुद नहीं पता हैं. खेती के कई सामानों पर सब्सिडी है जो किसान ले सकते हैं. ऐसे में सरकार को किसानों में जागरूकता भी फैलानी चाहिए. किसानों के मुद्दे पर महायुति, निकाय चुनाव से पहले ज़ोरदार तरीके से घिरती दिख रही है.