यमुना नदी (Yamuna River) के प्रदूषण (Pollution) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा स्वतः संज्ञान लेने पर सुनवाई शुरू हो गई है. कोर्ट मित्र मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि 18 जनवरी को वॉटर क़्वालिटी लेवल अच्छा था, अमोनिया का लेवल भी कंट्रोल में है. अगर इसको कंट्रोल किया गया तो यह और बेहतर हो सकता है. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि NGT ने यमुना नदी के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है, उसकी रिपोर्ट को कोर्ट को देखना चाहिए.
हरियाणा के वकील श्याम दीवान ने दिल्ली जल बोर्ड की याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर की गई याचिका उचित नहीं है. याचिका में कई बातें विवादित हैं. श्याम दीवान ने कहा कि यमुना प्रदूषण को लेकर समस्याएं दिल्ली के भीतर हैं, हरियाणा से नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी प्रदूषण नहीं चाहता है. हरियाणा को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे समस्या की जड़ हरियाणा ही है.
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यमुना नदी के प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और हरियाणा से भी जवाब मांगा है. दिल्ली जल बोर्ड ने आरोप लगाया था कि हरियाणा से यमुना नदी में दूषित जल छोड़ा जा रहा है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे़, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने दिल्ली जल बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें आरोप लगाया गया था कि हरियाणा अमोनिया की अत्यधिक मात्रा वाला दूषित जल यमुना नदी में छोड़ रहा है, जो क्लोरीन के साथ मिलने पर कैंसरकारी बन जाता है.
पीठ ने कहा कि हम बगैर किसी बहस के नोटिस जारी कर रहे हैं. हम समूची यमुना नदी में प्रदूषण के मामले का स्वतः संज्ञान ले रहे हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही सुनवाई के दौरान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया.
दरअसल, यमुना के जल में अमोनिया का स्तर बढ़ने पर दिल्ली जल बोर्ड आम तौर पर जलापूर्ति रोक देता है. जल बोर्ड ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा पर आरोप लगाया था. याचिका में हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि नदी में प्रदूषण रहित जल छोड़ा जाए.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि उन्हें हरियाणा में अमोनिया शोधन संयंत्र रखना है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी कहा था कि सोनीपत में उनका एसटीपी काम नहीं कर रहा है. इस पर पीठ ने पूछा कि प्रदूषण कम करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड से कहा कि इस याचिका की प्रति और नोटिस की तामील हरियाणा पर करें, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सके.