"पराली नहीं जलाने के लिए तैयार, लेकिन ..." : NDTV से बोले पंजाब के किसान  

शेरसिंह ने कहा कि हम पराली जलाने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कुछ नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि न कोई मशीनरी दी है और न ही पैसा दिया है. उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं. हम इन मशीनों को खरीद भी नहीं सकते हैं. 

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किसानों ने कहा कि हम पराली नहीं जलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार से मशीनें नहीं मिल रही हैं. (फाइल)

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) जहरीली हवा से घिरा हुआ है. इस मौसम में जलाई जाने वाली पराली को दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण (Pollution in Delhi-NCR) के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. इस मुद्दे पर खूब राजनीति हुई. सरकार भी बदली लेकिन पराली जलाए जाने की समस्या का समाधान नहीं निकला. पंजाब (Punjab) के पटियाला के सिद्धूवाले गांव में किसान पराली जला रहे हैं. हमारे सहयोगी वेदांत अग्रवाल ने सिद्धूवाले गांव में पहुंचकर किसानों से बातचीत की. 

पटियाला के सिद्धूवाले गांव के किसान हरनेक सिंह ने कहा कि हम पराली नहीं जलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार से मशीनें नहीं मिल रही हैं.

गांव के ही किसान शेरसिंह सिद्धूवाले ने कहा कि पराली जलाने की हमें कोई खुशी नहीं है, पहले धुआं हमें ही लगता है और इसके बाद आगे जाता है.

शेरसिंह ने कहा कि हम पराली जलाने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कुछ नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि न कोई मशीनरी दी है और न ही पैसा दिया है. उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं. हम इन मशीनों को खरीद भी नहीं सकते हैं. 

बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण के गंभीर स्तर तक पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के अंतिम चरण के तहत केंद्र की वायु गुणवत्ता समिति द्वारा अनुशंसित प्रतिबंधों को लागू करने का निर्णय लिया है. इसके बाद दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे और निजी कार्यालयों से भी इसका अनुसरण करने की सलाह दी गई है. साथ ही प्राइमरी तक के सभी स्कूलों को बंद करने का भी निर्णय लिया गया है. 

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