पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 53% की कमी: CAQM

उड़न दस्तों और पराली सुरक्षा बल की तैनाती, प्रवर्तन और हॉटस्पॉट जिलों में तैनात टीमों द्वारा त्वरित कार्यवाही और किसानों में जागरूकता अभियान ने भी परली की घटनाओं को बड़े स्तर पर नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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  • CAQM की रिपोर्ट के अनुसार इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है
  • पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं पिछली सालों की तुलना में इस सीजन में अधिकतर कम दर्ज की गई हैं
  • हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं भी पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल काफी घट गई हैं
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नई दिल्ली:

दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण पर नज़र रखने वाली संस्था - वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि इस साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी दर्ज़ की गई है.

ISRO के मानक प्रोटोकॉल के अनुसार 15 सितंबर से 30 नवंबर तक प्रतिवर्ष धान की पराली जलाने की घटनाओं की आधिकारिक रिकॉर्डिंग, निगरानी और मूल्यांकन की अवधि रविवार को समाप्त हुई.

सोमवार को जारी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में CAQM ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में खेतों में आग लगने की घटनाओं में लगातार गिरावट आई है और 2025 के धान की कटाई के मौसम के दौरान आग लगने की सबसे कम संख्या दर्ज की गई है. पंजाब में इस सीजन में आग लगने की 5,114 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2024 की तुलना में 53%, 2023 की तुलना में 86%, 2022 की तुलना में 90% और 2021 की तुलना में 93% कम है. हरियाणा में इस वर्ष 662 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2024 की तुलना में 53%, 2023 की तुलना में 71%, 2022 की तुलना में 81% और 2021 की तुलना में 91% कम है."

CAQM द्वारा पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष (paddy stubble burning) प्रबंधन उपायों की सख्ती से निगरानी शुरू करने के बाद रिकॉर्ड की गयी सबसे महत्वपूर्ण गिरावट है.

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CAQM के मुताबिक, "पिछले कुछ साल में पंजाब और हरियाणा में यह बड़ी गिरावट राज्य और जिला-विशिष्ट कार्य योजनाओं (State and District-specific Action Plans) के बेहतर कार्यान्वयन, फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की बड़े पैमाने पर तैनाती, सख्त प्रवर्तन उपायों और बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादन, औद्योगिक बॉयलरों में उपयोग, बायो-इथेनॉल के उत्पादन, टीपीपी और ईंट भट्टों में सह-फायरिंग के लिए धान के पुआल के छर्रों/ब्रिकेट के उपयोग को अनिवार्य करने और पैकेजिंग और विभिन्न अन्य वाणिज्यिक अनुप्रयोगों सहित धान के पुआल के मजबूत बाहरी उपयोग से प्रेरित है."

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Photo Credit: IANS

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पंजाब और हरियाणा के कृषि विभागों, जिला प्रशासन और आयोग के बीच बेहतर समन्वय की वजह से जहां भी महत्वपूर्ण आग की घटनाएं हुईं, वहां समय पर उड़न दस्तों और पराली सुरक्षा बल की तैनाती, क्षेत्र अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर निरीक्षण और प्रवर्तन और हॉटस्पॉट जिलों में तैनात टीमों द्वारा त्वरित कार्यवाही और किसानों में जागरूकता अभियान ने भी परली की घटनाओं को बड़े स्तर पर नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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