सेना में भर्ती के अग्निपथ योजना को लेकर अब एक अलग विवाद खड़ा हो गया है. इस नए विवाद के तहत विपक्ष का आरोप है कि आवेदकों से जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं. बहरहाल, इस मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए केन्द्र सरकार ने कहा है कि सेना में जाति और धर्म के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पहले से ही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि सेना में भर्ती की व्यवस्था अभी भी वही है, जो आजादी से पहले से चली आ रही है.
लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति थम नहीं रही है. आज जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने ट्वीट पर सरकार को इस पॉलिसी को बदलने के लिए कहा है. उन्होंने अपने ट्वीट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सवाले पूछा है कि क्यों नहीं इस प्रथा को अब समाप्त कर दिया जाए.
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी काफी मुखर नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस मुद्दे को जातिगत जनगणना से जोड़ दिया है. उन्होंने कहा,”संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है.”
‘आम आदमी पार्टी' के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ट्वीट कर अपना विरोध दर्ज किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में सवाल उठाया कि क्या दलितों/ पिछड़ों/ आदिवासियों को सेना में भर्ती के काबिल नहीं माना जाता?”
इस मामले पर जब विवाद बढ़ने लगा तो सेना की तरफ से कहा गया है कि यह व्यवस्था पहले से चली आ रही है औऱ इसमें किसी तरह की तब्दीली नहीं की गई है.