क्या BSP में हो रही है 'शादी' पर सियासत, क्या साले की शादी की वजह से निकाले गए आकाश आनंद

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोमवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था. इससे पहले उन्हें पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया गया था. कहा जा रहा है कि इसकी वजह बनी एक शादी,जिसमें वो शामिल हुए थे.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी इन दिनों चर्चा में है. इसकी वजह किसी चुनाव में मिली उसकी जीत या हार नहीं है, बल्कि वरिष्ठ नेताओं पर हो रही कार्रवाई है. इस साल इसकी शुरुआत 12 फरवरी को अशोक सिद्धार्थ के निष्कासन से हुई. अशोक सिद्धार्थ  कोई और नहीं बल्कि उस आकाश आनंद के ससुर हैं, जिन्हें बसपा प्रमुख मायावती ने अपना उत्तराधाकिरी घोषित किया था. मायावती ने दो मार्च को आकाश आनंद को भी नेशनल कोऑर्डिनेटर और अन्य पदों से हटा दिया था. इसके अगले दिन उन्हें बसपा से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. बसपा ने अशोक सिद्धार्थ पर पार्टी में गुटबाजी को हवा देने का आरोप लगाया. वहीं आकाश आनंद पर अपने ससुर के सह पर काम करने का आरोप लगा. लेकिन जानकार बता रहे हैं आकाश आनंद पर कार्रवाई का कारण बनी है, एक शादी. लेकिन शादी को लेकर पार्टी से बाहर होने वाले आकाश आनंद बसपा के अकेले नेता नहीं हैं. आइए जानते हैं कि शादी पर बसपा ने कब-कब सियासत की है.

आकाश आनंद का सफर

आकाश आनंद की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉक्टर प्रज्ञा से मार्च 2023 में हुई थी.वहीं आकाश के साले की शादी सात फरवरी को आगरा में हुई. सूत्रों का कहना है कि मायावती ने अपनी पार्टी के नेताओं से इस शादी में जाने से बचने को कहा था. इसके बाद भी आकाश आनंद इस शादी में शामिल हुए. इसका परिणाम यह हुआ कि बसपा के कई दूसरे नेता भी इस शामिल हुए. इनमें वैसे नेता शामिल थे, जो मायावती का वारिस बनने के बाद से  आकाश आनंद से करीबी दिखा रहे थे. मायावती ने इसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा. उन्हें लगा कि अशोक सिद्धार्थ आकाश आनंद के साथ मिलकर उनके समकक्ष एक गुट खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.

मायावती के भतीजे आकाश आनंद और डॉक्टर प्रज्ञा की शादी मार्च 2023 में हुई थी.

इस शादी की खास बात यह रही कि आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार उसमें शामिल नहीं हुए थे. बसपा ने 12 फरवरी को अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसकी जानकारी मायावती ने एक ट्वीट में दी थी. उन्होंने अशोक सिद्धार्थ पर गुटबाजी और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया. इसी दिन आकाश आनंद के निष्कासन की भूमिका भी तैयार हो गई थी. इस काम को मायावती ने तीन मार्च को पूरा कर लिया. इसे पूरे घटनाक्रम में खास बात यह रही कि मायावती ने आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं की. जानकारों का कहना है कि इसकी वजह यह रही कि वो आकाश के साले की शादी में शामिल नहीं हुए थे. 

Advertisement

यह पहला मौका नहीं है कि जब किसी शादी की वजह से बसपा ने अपने नेताओं पर कार्रवाई की है. इससे पहले दिसंबर 2023 में बसपा ने रामपुर के अपने पूर्व जिलाध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र सागर को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.उनके साथ ही रामपुर जिले के बसपा अध्यक्ष को भी पार्टी से निकाल दिया गया. सागर ने अपने बेटे की शादी सपा विधायक त्रिभुवन दत्त की बेटी से कर दी थी. दत्त भी पहले बसपा में थे. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वो सपा में शामिल हो गए थे. सपा ने उन्हें आलापुर से टिकट दिया था. उन्होंने सपा की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए 15 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीत लिया था. उन्होंने बीजेपी के त्रिवेणी राम को हराया था. आलापुर में बसपा को तीसरा स्थान मिला था. त्रिभुवन आलापुर से 2007 का चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था. बसपा नेता के बेटे की शादी सपा विधायक की बेटी से होने से मायावती नाराज बताई गई थीं. 

Advertisement

मायावती ने दी सफाई

इस खबर के सामने आने के बाद बसपा की आलोचना शुरू हो गई. इसके बाद मायावती को खुद ही सफाई देने आगे आना पड़ा. उन्होंने कहा कि सुरेंद्र सागर को उनके बेटे की शादी की वजह से नहीं बल्कि पार्टी के दूसरे नेताओं से उनकी लड़ाई की वजह से निकाला गया है. इसी वजह से रामपुर के जिलाध्यक्ष को भी पार्टी से बाहर निकाला गया है. उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी के नेता अपनी समझ के मुताबिक शादी-ब्याह करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा था कि कौन किससे शादी करता है और किसके किससे कैसे संबंध हैं, इसका पार्टी से कोई संबंध नहीं हैं. उन्होंने इस तरह की खबरों को बसपा के खिलाफ दुष्प्रचार बताया था. 

Advertisement

Advertisement

इससे पहले बसपा प्रमुख ने अपनी पार्टी के नेताओं को मुनकाद अली के बेटे की शादी में न जाने को कहा था.मुनकाद अली बसपा के पूर्व सांसद हैं. उनकी बेटी संबुल राणा मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधासभा सीट पर पिछले साल हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार थीं. वो बसपा के ही एक और नेता कादिर राणा की पुत्रवधू हैं. राणा बसपा से सांसद और विधायक रह चुके हैं. इस समय वो सपा में हैं.

बसपा बनाम बसपा

इस शादी पर मायावती ने कहा था,''इस सीट पर बसपा ने भी चुनाव लड़ा था. ऐसे में शादी में दोनों दलों के लोगों के बीच टकराव की संभावना को लेकर आम चर्चा थी. इससे बचने के लिए पार्टी को यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन जिस तरह से इसका प्रचार किया जा रहा है, वह सही नहीं है.'' मुनकाद अली के बेटे के वलीमे में बसपा के कई नेता शामिल हुए थे. इसे मायावती ने अनुशासनहीनता माना था.इसके बाद मेरठ मंडल के प्रभारी प्रशांत गौतम, जिला प्रभारी महावीर सिंह प्रधान और एक अन्य नेता को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.

मीरापुर उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की मिथलेश पाल जीती थीं. पाल ने सपा की सुम्बुल राणा को 30 हजार 796 वोटों से हराया था.यहां बसपा प्रत्याशी शाह नजर को तीन हजार 248 वोट और पांचवां स्थान मिला था.

ये भी पढ़ें: IND vs AUS: विराट कोहली क्यों हैं विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े 'चेज मास्टर', आंकड़ों से समझिए

Featured Video Of The Day
Punjab: मान सरकार का ड्रग्स के खिलाफ बड़ा अभियान, करीब 800 तस्कर गिरफ्तार, घरों पर चले Bulldozer
Topics mentioned in this article