केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में जब से जातिगत जनगणना कराने में असमर्थता जतायी हैं उसके बाद बिहार में भाजपा अलग-थलग पड़ती जा रही हैं. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर अपना मुंह नहीं खोला हैं लेकिन उनके लिए राहत की खबर हैं कि भाजपा छोड़कर सभी दल इस मुद्दे पर उनके साथ हैं. इन दिनों बिहार भाजपा में कोई कार्यक्रम हो लेकिन नेताओं से सवाल मात्र जातिगत जनगणना पर पूछे जाते हैं. इन नेताओं की मजबूरी हैं कि उन्हें केंद्र सरकार ने जातियों की गणना कराने के जो कारण गिनाये हैं उसको ये दोहरा देते हैं.
जाति जनगणना पर लंबी लकीर खींचने की कोशिश में तेजस्वी यादव, 13 CM समेत 33 नेताओं को लिखी चिट्ठी
लेकिन जहां इन नेताओं की अपनी राजनीतिक मजबूरी हैं वहीं विपक्ष केंद्र के इस इनकार के बाद आक्रामक हैं. तेजस्वी यादव ने विपक्षी दलों के नेताओं से बैठक की और नीतीश कुमार से जल्द अपना स्टैंड साफ़ करने के लिए कहा और देश के अलग-अलग 33 नेताओं को इस मुद्दे पर पत्र लिखा.
पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन है : सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
इसके बाद नीतीश कुमार में सहयोगी भी अब भाजपा के ख़िलाफ़ मुखर हुए हैं. लेकिन राज्य सरकार जातिगत जनगणना करायेंगी ये फ़ैसला आख़िरकार मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को करना हैं और सबकी निगाहे उनके अगले कदम पर होगी.