राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव बांड के जरिये धन जुटाने का चलन तेज हो गया है. संसद से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, पिछले साल 324 करोड़ रुपये के इलेक्शन बांड भुनाए गए हैं.वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि वित्त वर्ष 2020-21 में विभिन्न राजनीतिक दलों ने 324.36 करोड़ रुपये के चुनावी बांड कैश किए. भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बांड जारी करने और कैश करने के लिए अधिकृत बैंक है. उन्होंने राज्यसभा को दिए गए लिखित उत्तर में कहा कि चुनावी बांड नकदीकरण का राजनीतिक दल-वार विवरण अभी उपलब्ध नहीं है. 2020-21 के दौरान चुनावी बांड की 14वीं और 15 किस्तें जारी की गईं और उनका नकदीकरण किया गया.
एक अन्य जवाब में चौधरी ने कहा कि चुनावी बांड की 19वीं किश्त में राजनीतिक दलों द्वारा 1,212.86 करोड़ रुपये के चुनावी बांड का नकदीकरण किया गया था. दिशानिर्देशों के अनुसार, इस योजना के तहत बांड वही व्यक्ति खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित है, और वह अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से बांड खरीद सकता है. यही वजह है कि विदेशी संस्थाओं को कोई चुनावी बांड जारी नहीं किया जाता.
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उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान दक्षिण कोरियाई वोन, फिलीपींस पेसो, थाई बहत और जापानी येन जैसी अन्य एशियाई मुद्राओं में भारतीय रुपया बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक था.
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उन्होंने कहा, रुपये की विनिमय दर बड़े पैमाने पर मांग और आपूर्ति की बाजार ताकतों द्वारा निर्धारित की जाती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) केवल विदेशी मुद्रा बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए हस्तक्षेप करता है और बिना किसी विनिमय दर का विशिष्ट स्तर को निशाना बनाए, उसमें व्यवस्थित स्थिति बनाए रखता है.